“वर्ल्ड कैंसर डे” को “सर्वाइवल डे” के रूप में मनाएगा अपोलो हॉस्पिटल…
02 फरवरी 2024
बिलासपुर-[जनहित न्यूज़] इस वर्ष “वर्ल्ड केंसर डे” को “सर्वाइवल डे” के रूप में मनाते हुए अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टरो ने कहा कि नई आधुनिक तकनीकी के अविष्कारों से अब कैंसर ला- ईलाज बीमारी नही रहा। कैंसर मरीजों के साथ हमे सामान्य व्यवहार करना चाहिए ताकि उसे इस बीमारी से जल्द रिकवर होने में सहायता मिल सके।
अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमित वर्मा ने इस दौरान मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस वर्ष हम और आपको मिलकर समाज की मानसिकता को बदलनी है।
समाज कैंसर मरीज को छूत की बीमारी की तरह देखता है उनके साथ एक अलग तरह का व्यवहार करने लगता है। जिससे उन्हें हर तरफ परेशानी, रिलेशन में परेशानी और घर वालो के साथ परेशानी होने लगती है। जिससे धीरे धीरे वह अपना आत्म विश्वास खोने लगता है। क्योंकि अब वह बीमारी के साथ सामाजिक व मानसिक लड़ाई भी लड़ने लगता है।
डॉक्टर वर्मा ने कहा कि यह कोई छूत की या, मेलजोल से फैलने वाली बीमारी नही है, बल्कि यदि कोई इलाज के बाद 05 साल से ठीक है, कोई परेशानी नही हो रही तो वह अपनी लड़ाई पूरी तरह जीत चुका है। हमे इसके मरीजो से डरने या दूर भागने की जरूरत नही है बल्कि उसे इस दौरान मोटिवेट करना है। ताकि मरीज कैंसर की जंग को आसानी से जीत सके। यदि हम कैंसर के मरीजो को कमजोर समझते है और उसके साथ अलग तरह का व्यवहार करते है तो वह उसके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचता है।
उन्होंने बताया कि इस बीमारी के संबंध में यह मिथ्य भी है कि कैंसर मरीज महिला से शादी नही करनी चाहिए, कैंसर पीड़ित महिला बच्चे को दूध नही पिला सकती यह पूरी तरह गलत है । यह अनुवांशिक होने वाली बीमारी नही है। अभी तक मात्र 5% लोगो में ही अनुवांशिक पाया गया है।
डॉक्टर शशि परिदा ने कहा कि कैंसर से जिंदगी जीत सकते है,लेकिन उसके लिए बीमारी को स्वीकार करना होगा है। कुछ लोग समाज की डर से इस बीमारी को छुपा कर रखते है जो पूरी तरह गलत है। समाज के डर से छुपाना नही है। आज टेक्नोलॉजी बहुत आगे निकल गई है यह बीमारी ला ईलाज नही रहा।
डॉक्टर सार्थक मोहरिया ने कहा कि हमे कैंसर हो गया तो अब हमारी मौत हो जायेगी ऐसी धारणा से बचे। कुछ लोग इसकी जांच के लिए बोइयोप्सी तक कराने से बचते है। लेकिन यह एक प्रोग्रेस है बैयफ्सी कराना बहुत आवश्यक है। यह बीमारी ला इलाज रहा, आज इसके मरीजों के साथ सामाजिक दुरिया कम होनी चाहिए।
डॉक्टर अर्णव ने कहा कि कैंसर के प्रति लोगो का नजरिया बदलना होगा। लोग कैंसर मरीजों को एक अलग नजरिए से देखते है। जो बिलकुल गलत है। घर के लोग ही उनके साथ अलग तरह से व्यवहार करने लगते है।
कैंसर से ठीक हुए मरीज ने बताई अपनी कहानी इस दौरान कैंसर की बीमारी से बाहर निकल कर पूरी तरह स्वास्थ्य जीवन जी रहे एक मरीज अनूप (बदला हुआ नाम) बाजपाई ने अपनी कहानी लोगो के सामने रखते हुए कहा कि 2010 में उनका मुंह का कैंसर डायग्नोसिस हुआ। जबकि वे कुछ भी पान, गुटका,तंबाखू नही खाते थे फिर भी उन्हें मुंह का कैंसर निकला। 2015 में उनका ऑपरेशन हुआ और आज वे पूरी तरह स्वास्थ्य है।
उन्होंने बताया कि उनकी इस रिकवरी में दवा को जो काम करना था वो तो उसने किया लेकिन 50 % रिकवरी में उसकी वाइफ का हाथ रहा। जो उसकी इस जंग में हर पल उसके साथ खड़ी रही। जो उसकी इस जंग को आसान बना दिया।