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नए कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने का बढ़ाएंगे दबाव!

05-दिसंबर,2020

नई दिल्ली-{जनहित न्यूज़}
कृषि कानूनों रद्द करने को लेकर चल रहे आंदोलन को सुलझाने के लिए शनिवार को केंद्र सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की वार्ता होगी। इस बीच किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा की है जिससे नए कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने का दबाव बढ़ गया है।
किसान संगठनों और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच अब तक चार दौर की वार्ता हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को विज्ञान भवन में आयोजित लंबी वार्ता में सकारात्मक संकेत मिलने के बाद शुक्रवार को दबाव की रणनीति बनाई। सिंघू बॉर्डर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर तीन कानूनों को रद्द कर दिया जाता है तो वे आंदोलन समाप्त कर देंगे। उन्होंने देश में विभिन्न ट्रेड यूनियनों के समर्थन का भी दावा किया।
मोर्चा के सदस्य व किसान नेता हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि गुरुवार को हुई बैठक में केंद्र सरकार ने बिजली और पराली के बारे में नए कृषि कानूनों में किए गए प्रावधानों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने के लिए लगभग सहमत हो गई है। लेकिन हमने कहा कि सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाये । इसके अलावा किसान कोई भी वादा स्वीकार नहीं करेंगे।
किसान नेता युधवीर सिंह मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव,बलदेव सिंह,बूटा सिंह फूल,लखोवाल की मौजूदगी में कहा कि 5 दिसंबर को किसान देशभर में मोदी सरकार व कॉरपोरेट घरानों का पुतला फूंकेंगे।7 दिसंबर को जिन्हें केंद्र सरकार से पुरस्कार मिला हैं,वे वापस कर आंदोलन का समर्थन करेंगे। इसके साथ ही 8 दिसंबर को पूरा भारत बंद रहेगा।

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