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धम्म चक्र परिवर्तन महोत्सव कार्यक्रम संपन्न•••

भारतीय बौद्ध महासभा का निर्माण डाॅ. बाबा साहब अम्बेडकर ने किया●◆ ●

17 अक्टूबर 2024

बिलासपुर-[जनहित न्यूज़] प्रमुख वक्ता दीदी निर्देश सिंह अधिवक्ता सुप्रिम कोर्ट दिल्ली कार्यक्रम में सर्व प्रथम प्रमुख वक्ता दीदी निर्देश सिंह अधिवक्ता सुप्रिम कोर्ट दिल्ली द्वारा डाॅ. बाबा साहब आम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ ही दिप प्रज्जवलन व वंदन किया गया साथ ही स्वागतगीत के साथ ही कार्यक्रम प्रारंभ किया गया एवं सभी सम्मानिय अतिथियों को पंचशील का मफलर पहनाकर उनका स्वागत किया। भारतीय बौद्ध महासभा जिला शाखा बिलासपुर द्वारा आयोजित प्रांतीय स्तर का 14 अक्टूबर धम्म चक्र परिवर्तन महोत्सव कार्यक्रम डाॅ आम्बेडकर प्रतिमा स्थल जी.डी.सी काॅलेज के पास में समाज के सभी विशिष्ट अतिथियों के उपस्थिति में कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। मुख्य रूप से सारंग राव हुमने, महेश चन्द्रिकापुरे, प्रफुल्ल गेडाम, धर्मेन्द्र टेमुर्णिकर, जितेन्द्र खोब्रागड़े, मनोज बौद्ध, सुनिता ओंडकार, उषा वाहने, धनेश नायक की उपस्थिति में कार्यक्रम सम्पन्न किया गया।

इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए प्रमुख वक्ता दीदी निर्देश सिंह अधिवक्ता सुप्रिम कोर्ट दिल्ली ने अपने संबोधन में कहा कि बुद्ध ने भारतीय समाज के सामाजिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक जीवन पर किसी भी वर्ण के एकाधिकार को चुनौती देकर आम जनता को इसमें शामिल किया। उन्होंने शूद्रों और स्त्रियों सहित सभी वर्गों के लोगों को समानता प्रदान की। बुद्ध के अनुसार जब कभी कोई व्यक्ति (स्त्री और पुरुष) अपने को योग्य समझे, चाहे किसी भी वर्ण का हो, किसी भी जाति का हो, किसी भी उम्र में सन्यास आश्रम में प्रवेश कर सकता है, कोई भी अपना मनपसंद उद्योग कर सकता है। बुद्ध ने अपने भिक्खुसंघ में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र सभी वर्णों के विद्वान भिक्खु और भिक्खुणियों को शामिल किया। सर्वसाधारण जनता के अज्ञान और अन्धविश्वास, भय और आतंक के विरुद्ध बुद्ध ने विद्रोह किया। सैद्धांतिक रुढ़िवादिता और कट्टरपन के कारण समाज में जो घृणा फैली हुई थी, उसका बुद्ध ने विरोध किया।

बुद्ध संसार के पहले ऐसे क्रांतिवीर हैं जिनके कारण भारतीय समाज में दीन-हीन लोगों को क्रांती का मार्ग मिला, पाखण्डी एवं भेदभाव पूर्ण वर्ण-व्यवस्था रुपी नर्क से मुक्ति का मार्ग मिला, भ्रममय अमानवीय कुरीतियों से निर्विघ्न होने की राह मिली। उन्होने आगे और जानकारी दी और बताया कि भारत में बौद्ध धम्म का उत्थान सम्राट अशोक महान के शासन काल ई. पू. 269 के बाद बौद्ध धम्म बड़ी तेजी से विस्तारित हुआ।
देश और विदेशों में धम्म प्रचार के लिए अनेक विद्वान भिक्खुओं को भेजा गया। अशोक ने 84000 धम्म स्तूप बनवाए और उनमें भगवान बुद्ध की अस्थियां रखी। उसने अपने विशाल राज्य में जगह-जगह अनेक चैत्य, गुफाएं, स्तम्भ तथा विहार निर्माण करवाए। अशोक का काल भारत और बौद्ध धम्म का वैभवशाली इतिहास है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला अध्यक्ष राजेश हुमने ने बताया कि भारतीय बौद्ध महासभा का निर्माण डाॅ. बाबा साहब अम्बेडकर जी ने किया वर्तमान में देश के 25 राज्यों में भारतीय बौद्ध महासभा कार्यरत है। इसी संस्था के माध्यम से भारत को बौद्ध मय बनाने का सपना अम्बेडकर जी ने देखा था उसे हम सभी लोगों के सामूहिक प्रयास से पूरा किया जा सकता है।
कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता दीदी निर्देश सिंह अधिवक्ता सुप्रिम कोर्ट दिल्ली को सारंग राव हुमने, महेश चन्द्रीकापुरे, प्रफुल गेडाम, सुबोध रंगारी, संतोष खोबरागड़े, कैलाश गजभीये अजय नागले, एस.आर.वाल्के, सूर्यकान्त भालाधरे, कल्पना सेन्डे, सरिता कामड़े, कपिल डोंगरे, द्वारा स्मृति चिन्ह् भेंट कर उनका सम्मान किया गया। स्वागत गीत की प्रस्तुती में प्रमुख रूप से गीता उके, उजाला चंन्दीकापुरे,रूपा मेश्राम, जयश्री उके। भारतीय बौद्ध महासभा द्वारा 14 अक्टूबर धम्म चक्र परिवर्तन दिवस के अवसर पर प्रथम प्रयास स्वरूप समाज के स्थानीय गायकों द्वारा बुद्ध, भीम व धम्म पर आधारित गीतों की प्रस्तुती स्थानीय गायकों द्वारा प्रमुख रूप से महेश चन्द्रिकापुरे, मनोज बौद्ध, प्रफुल गेडाम, बसंत ओंडकार गीता उके, रूद्राक्ष भिवगड़े।
बौद्धों को बुद्ध गया महाबोधी महाविहार का प्रबंध सौपने संबंधि रैली में शामिल आंदोलन कारी पंचशील बौद्ध विहार टिकरापारा की महिलाओं का भी मंच में शाॅल पहना कर सम्मान किया गया प्रमुख रूप से सुजाता वाहने, चेतना तमहाने, अनामिका पाटिल, वंदना भांगे, ललिता वाहने, प्रकृति बौद्ध, अनिता लाहौत्रे, प्रतिमा सहारे, कान्ता मेश्राम।
ज्ञात हो कि बौध्दो को बुद्ध गया महाबोधि महाविहार का प्रबंध सौपने और बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 को निरस्त करने के संदर्भ में उचित संवैधानिक अधिकारों की बहाली को लेकर है। राष्ट्रीय स्तर पर देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या पर रैली में प्रतिनिधि शामिल हुए थे। बिलासपुर के लिये खुशी की बात यह है कि बिलासपुर में सक्रिय उत्साही साहसी समर्पित महिला कार्यकर्ताओं ने मोर्चा संभाला था जो भविष्य में मिल का पत्थर साबित होगा जो की अनुकरणीय प्रयास के लिए हमेशा जाना जाएगा।

कार्यक्रम का संचालन श्वेता गेडाम, सुजाता वाहने, सरोज हुमने, एवं सुबोध रंगारी द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन बौद्ध समाज बिलासपुर के अध्यक्ष सारंग राव हुमने व बौद्ध समाज बिलासपुर के संरक्षक महेश चन्द्रिकापुरे द्वारा किया गया। जिसमें सैकड़ों की संख्या में प्रमुख रूप से अनुराधा बोरकर, लक्षमी वाहने उजाला चन्द्रिकापुरे गीता उके, नीता हुमने, रूपा मेश्राम, अंजना बोरकर, उषा वाहने, विमल रंगारी, शीतल रामटेके, चंदा नंदा गौरी, धनेश नायक, गोपाल पात्रे, वर्षा भालाधरे, सपना गजभिये, लीला रामटेके, विनय नायक विजय पाटिल, प्रफुल्ल नायक, संतोष बौद्ध, मनोज बौद्ध, विनोद बौद्ध, विशाखा बौद्ध, आशा बौद्ध, छाया बौद्ध, अनिता उके, प्रेरणा उके, मोनिका हुमने, रसीला नंदेशवर, रितू वाहने, शांता बाई, गीता पटेल, जय शीला जामबुलकर, धनवन्ता जामबुलकर, शीला नंदेशवर, युमाला बोदले, कल्पना सेन्डे, पदमा डोंगरे मुख्य रूप से उपस्थित रहे साथ ही मुंगेली, तखतपुर, मस्तूरी, बिल्हा एवं बैमानगोई, सीपत के उत्साही साथियों की उपस्थिति सराहनीय रही। उक्त जानकारी राजेश हुमने अध्यक्ष भारतीय बौद्ध महासभा बिलासपुर द्वारा दी गई।