
अयोध्या यात्रा से लौटे 1008 श्रद्धालुओं
ने रामभक्त प्रवीण झा का जताता आभार…पुलिस मैदान में स्वयंसेवक व समिति के सदस्यों ने किया स्वागत●◆●
बिलासपुर-{जनहित न्यूज़} बिलासपुर अयोध्या में प्रभु श्रीराम के दिव्य दर्शन कर लौटे 1008 रामभक्तों का बिलासपुर पहुंचते ही पुलिस मैदान में भव्य स्वागत हुआ। तीन दिवसीय इस ऐतिहासिक धार्मिक यात्रा के बाद जब सभी 21 बसों का जत्था शहर में पहुंचा, तो हर चेहरा दिव्यता, श्रद्धा और आनंद से दमक रहा था। भक्तों की आंखों में आस्था के आंसू थे और होठों पर जय श्रीराम के उद्घोष। यह नजारा देखकर हर कोई अभिभूत हो उठा। पुलिस मैदान में जब परिजनों और शहरवासियों ने श्रद्धालुओं का स्वागत किया, तो मानो रामभक्ति का उत्सव फिर एक बार शहर की हवाओं में घुल गया।
इस यात्रा की शुरुआत बिलासपुर से प्रयागराज में त्रिवेणी संगम स्नान से हुई, जहां श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर आत्मिक शुद्धि का अनुभव किया। संगम स्नान के पश्चात श्रद्धालुओं का जत्था जब भगवा वस्त्रों में अयोध्या की ओर बढ़ा, तो पूरे मार्ग में जय श्रीराम के जयघोष गूंजते रहे। तीन दिन की इस यात्रा में भजन, पदयात्रा और भक्ति के आयोजन ने भक्तों को एक ऐसी आध्यात्मिक ऊंचाई पर पहुंचाया, जहां उन्हें स्वयं भगवान के सान्निध्य का अनुभव हुआ। आयोजन समिति के सदस्य रौशन सिंह ने बताया कि अयोध्या में जब सभी श्रद्धालु श्रीराम जन्मभूमि पहुंचे और प्रभु श्रीरामलला के दर्शन किए, तो वह पल सभी के लिए भावनाओं से भरा हुआ था। नयन अश्रुपूरित थे, मन शांत और हृदय आनंदित। अनेक श्रद्धालुओं ने कहा कि यह जीवन का सबसे पवित्र और अविस्मरणीय अनुभव रहा। कई भक्त इतने भावुक हो उठे कि वे खुद को रोक नहीं पाए। श्रीरामलला के चरणों में पहुंचकर उन्होंने जीवन के उद्देश्य, सेवा और सच्ची आस्था का अनुभव किया।
बिलासपुर पहुंचते ही उमड़ा प्रेम
अयोध्या से लौटकर जब श्रद्धालु बिलासपुर पहुंचे, तो शहरवासियों ने उत्साहपूर्वक उनका स्वागत किया। पुलिस मैदान में जैसे ही बसों से भक्त उतरे, पूरे वातावरण में भक्ति और प्रेम की लहर दौड़ गई। कुछ श्रद्धालु प्रभु के नाम का कीर्तन करने लगे, तो कुछ अपने परिजनों से मिलकर भाव-विह्वल हो गए। इस यात्रा ने हर आयु वर्ग के लोगों को आत्मिक रूप से समृद्ध किया।
यात्रा संयोजक प्रवीण झा की भूमिका रही अद्वितीय-
इस यात्रा को सफल बनाने में संयोजक प्रवीण झा की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। उनकी नेतृत्व क्षमता, सेवा भाव और संकल्पशीलता ने इस यात्रा को ऐतिहासिक बना दिया। भोजन, आवास, सुरक्षा और मार्गदर्शन जैसी व्यवस्थाएं इतनी सुचारू थीं कि हर श्रद्धालु ने उनका आभार व्यक्त किया। प्रवीण झा की टीम ने जिस समर्पण से हर पहलू का ध्यान रखा, वह अनुकरणीय है। उनके प्रयासों ने इस यात्रा को केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक आत्मिक उत्सव बना दिया।
स्वयंसेवकों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
इस यात्रा में स्वयंसेवकों का विशेष योगदान रहा। जिनमें राम प्रताप सिंह, रौशन सिंह, त्रिभुवन सिंह, ए के कंठ, रिंकू मित्रा, हरिशंकर कुशवाहा, सागर साहू, सनद पटेल, संतोष सिंह, संतोष चौहान, अभिषेक साहू, संजय द्विवेदी, सन्नी गिरी,मुकेश झा, जयदीप घोष, चन्द्रकिशोर प्रसाद, शौलेन्द्र सिंह, शुभम राय, अशोक पाण्डेय, सूरज कौशिक, अजित पंडित, उचित सूद, राकेश राय, वैनकट नायडू, राजीव अग्रवाल, निभा दास, भाग्य लक्ष्मी, निहारिका त्रिपाठी, नितीन श्रीवास्तव, राजकुमार जैसवानी, योगेश बोले, रुपेश कुशवाहा।