
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण समिति की जनजातिय समाज के लिए सराहनीय पहल
29-अक्टूबर,2020
बिलासपुर-{जनहित न्यूज़}
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण समिति कई वर्षों से वनवासी जनजातिय समाज के उत्थान के लिए कार्य करते आ रही है और उनके हित में कानून तथा व्यवस्था में कई बदला लाने में सरकार के समक्ष आवाज उठा कर बदलाव लाने में सफल भी हुई है और आज इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण कानून लागू करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है।

आज बिलासपुर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता के दौरान अखिल भारतीय वनवासी कल्याण समिति के नगर अध्यक्ष बृजेंद्र शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि पेसा नियम से जनजातीय समाज की संस्कृति को कायम रखते हुए समाज को देश के विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का एक अनुकरणीय प्रयास है तथा श्री शुक्ला ने बताया कि पेसा कानून लागू होने से जनजातीय समाज का निश्चित ही उत्थान होगा उन्होंने पेसा कानून के नियम के प्रारूप के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि
छत्तीसगढ़ पैसा नियम 2020 से जनजाति समाज के लिए एक अनुकरणीय पहल है ,तथा अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के द्वारा 26 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ में जनजाति क्षेत्रों में प्रस्तावित पैसा छत्तीसगढ़ पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार नियम 2020 को क्रियान्वयन करने के लिए महामहिम राज्यपाल से मुलाकात की तथा उन्हें उच्च न्यायालय के अधिवक्ता
दिलमन के नेतृत्व में पेसा कानून के नियम का प्रारूप तैयार कर महामहिम राज्यपाल को प्रस्तुत किया गया।

इस उच्च स्तरीय समिति में दिलमन मिंज के अतिरिक्त भट्ट कैरियर शेपर सिविल जज संस्था के निदेशक पीके भट्ट और उच्च न्यायालय में भारत सरकार के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार देवांगन एवं महेश मिश्रा अधिवक्ता उच्च न्यायालय सम्मिलित थे जिनके द्वारा इस पैसा कानून के प्रारूप को तैयार किया गया है उसमें यह प्रावधान किया गया है कि भारत में जो ग्रामीण क्षेत्रों में जनजाति समुदाय रहता है वह अपना समग्र विकास बिना अपनी मूल संस्कृति परंपरा एवं प्रथाओं के त्याग किए किस प्रकार करें इस प्रारूप में यह प्रावधान किया गया है कि पांचवी अनुसूची के अंतर्गत महामहिम राज्यपाल को पूरा अधिकार है कि वह छत्तीसगढ़ के जनजाति क्षेत्र के लोगों को एक संरक्षक की भांति पूर्ण सुरक्षा प्रदान करें और उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास करें जिसमें उनका आर्थिक विकास संभव हो सके इसी परिक्षेत्र में यह प्रावधान भी है कि ग्राम सभा सशक्त हो ग्राम सभा अपने सभी दैनिक एवं नीतिगत निर्णय ले सके ग्रामसभा को यह शक्ति दी गई है कि, वह अपनी सभी खनिज ,गौण एवं लघुवन उत्पादों का संग्रहण एवं विक्रय करें, उन्हें यह भी अधिकार दिया जाता है कि वह जंगल एवं जमीन के प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण उनका विधि पूर्ण व्यवसायिक प्रयोग कर सकें उन्हें यह भी अधिकार दिया गया है कि ऐसा कोई भी क्षेत्र जो पेसा कानून के अंतर्गत जनजाति क्षेत्र घोषित नहीं है परंतु वहां जनजाति बाहुल्य स्थान है या ग्राम है तो उसे कलेक्टर के माध्यम से जनजाति पेसा ग्राम के रूप में घोषित करा सके इस प्रकार इस प्रारूप में एक संतुलित व्यवस्था की गई है जिसमें जनजाति ग्राम तथा स्वायत्य होकर अपना संपूर्ण विकास अपनी मूल संस्कृति और परंपरा के माध्यम से करते हुए समाज की मुख्यधारा में शामिल हो दूसरी ओर सरकार को उस जनजाति ग्राम पर पूर्ण अधिकार प्राप्त हो सके और उन्हें राष्ट्रीय भावना के साथ जोड़कर आगे बढ़ने के लिए कार्य करें।

इस प्रकार जनजाति ग्राम सभा को स्वायत्य रखते हुए देश की एकता अखंडता एवं विकास में अपनी महती भूमिका निभाने के लिए अग्रसर करने का प्रयास किया गया है इस पेसा कानून के क्रियान्वयन मे छत्तीसगढ़ में जनजातीय समाज का दुव्रगति से विकास होगा एवं एवं राष्ट्रीय विकास में वह अपनी महती भूमिका निभाएंगे राज्यपाल ने इस पर आश्वासन दिया है कि वह जनजाति विकास के भले और संरक्षण के लिए सभी प्रकार का सहयोग प्रदान करेंगे इस अवसर पर मुख्य रूप से वनवासी विकास समिति के बिलासपुर नगर समिति के अध्यक्ष बृजेंद्र शुक्ला के अलावा समिति के सदस्य दिलमन मिंज,पी.के.भट्ट,सुरेंद्र कुमार देवांगन,महेश मिश्रा ने पत्रकारों को पेसा कानून के प्रारूप व समिति के द्वारा किये गए सफल प्रयासों की विस्तृत जानकारी प्रदान की।

