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प्रशासन की मौन सहमति पर उठे सवाल…! अभी तक किसी भी डीजे संचालक पर नही हुई कार्रवाई●●●

14 अक्टूबर 2024

बिलासपुर-{जनहित न्यूज़} छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में शारदीय नवरात्रि पर्व के समापन के साथ दुर्गा विसर्जन के दौरान डीजे बजाने पर प्रशासन की ढिलाई और हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी ने लोगों के बीच सवाल खड़े कर दिए हैं। कोर्ट के स्पष्ट निर्देश थे कि शहर में ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए विसर्जन के दौरान डीजे बजाने पर सख्त पाबंदी होनी चाहिए। इसके बावजूद शहर के बीचों-बीच और अस्पतालों के आसपास रात भर तेज आवाज में डीजे बजाया जाता रहा।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक आयोजनों में डीजे और तेज आवाज वाले यंत्रों पर सख्त प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए गए हैं। इसके पीछे तर्क यह है कि तेज आवाज से हृदय और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित लोगों को नुकसान हो सकता है। हाईकोर्ट ने भी इन निर्देशों का पालन करने के लिए राज्य में डीजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है, विशेषकर धार्मिक और सामाजिक आयोजनों के दौरान।

विसर्जन के दौरान हुआ ध्वनि प्रदूषण
बिलासपुर में 9 दिन तक देवी माँ की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं और दशहरे के बाद देवी का विसर्जन करते हैं। इस वर्ष भी चल समारोह में सैकड़ों लोग शामिल हुए और झांकियों के साथ मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया गया। इस दौरान शहर के बीचो-बीच, प्रमुख चौराहों और अस्पतालों के आसपास डीजे की गूंज सुनाई दी। सिटी कोतवाली के सामने भी तेज आवाज में डीजे बजाया जाता रहा, जबकि पुलिस प्रशासन और अधिकारियों की मौन सहमति से किसी ने इसे रोकने की कोशिश नहीं की।

क्या है हाईकोर्ट का आदेश-:

दरअसल, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने डीजे बजाने के कारण हो रहे ध्वनि प्रदूषण पर नाराजगी जाहिर की है. हाईकोर्ट ने राज्य शासन से पूछा है कि तेज आवाज में डीजे बजाने वाले संचालको पर सरकार ने क्या कार्रवाई की है, हाईकोर्ट ने राज्य शासन ने इस मामले में शपथपत्र मांगा है। हाईकोर्ट ने कहा कि इसे रोकने के लिए क्या प्रयास हुए हैं, इसकी पूरी रिपोर्ट में जमा करें। हाईकोर्ट ने इस मामले में समाचार पत्रों में छपी खबरों को देखकर स्वत: संज्ञान लिया है।

प्रशासन की समितियों व डीजे
की बैठक और मौन सहमति-

सूत्रों के अनुसार दुर्गा प्रतिमा विसर्जन से पहले जिला और पुलिस प्रशासन ने दुर्गा समितियों और डीजे संचालकों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में यह मांग उठाई गई कि बिना डीजे के विसर्जन अधूरा लगेगा, क्योंकि यह वर्षों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। डीजे संचालकों ने भी अनुमति मांगी कि वे धीमी आवाज में डीजे बजाकर चल समारोह में शामिल होंगे। इस पर प्रशासन ने मौन सहमति दे दी। लेकिन इसके बाद, नियमों का पालन करने के बजाय तेज आवाज में डीजे बजाए गए।

एसडीएम की सख्त चेतावनी

एसडीएम पीयूष तिवारी ने बताया कि डीजे बजाने पर पूर्णतः प्रतिबंध है और अगर कोई इसका उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि ध्वनि प्रदूषण से संबंधित हाईकोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। धीमी आवाज में धुमाल, ताशा और ढोल बजाने की अनुमति दी गई है, लेकिन अगर उनकी आवाज भी तय सीमा से अधिक होगी तो जब्ती की कार्रवाई की जाएगी।

आखिर क्यों नहीं हुई कार्रवाई…?

हालांकि, प्रशासन के इन दावों के बावजूद, विसर्जन समारोह के दौरान कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिखी। तेज आवाज में डीजे बजते रहे, और पुलिस प्रशासन भी मौके पर मौजूद होने के बावजूद हस्तक्षेप नहीं कर पाया। इससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन की मौन सहमति के पीछे कोई कारण है, या फिर यह केवल नियमों के उल्लंघन को नजरअंदाज करने का एक उदाहरण है।

इस घटना से प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे चलकर ध्वनि प्रदूषण और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन पर प्रशासन किस तरह से निपटेगा या क्या कार्रवाई करेगा। इसमें एक सवाल एक और भी मुंह बाएं खड़ा है कि

कार्रवाई किस पर होगी समिति पर या डीजे संचालक पर…?

बहराल हमने सम्बंधित थाने सिटी कोतवाली के टी.आइ. एस. आर. साहू से इस विषय मे जानकारी ली तो उनका कहना है। अभी तक कोई कार्रवाई नही हुई हमारे पूछने पर बताया हाँ कुछ डीजे वालो को चिन्हित कर लिया गया है पर अभी तक कार्रवाई नही हुई है।