कलेक्टर के निर्देश पर सरकारी स्कूलों का डीईओ ने किया औचक निरीक्षण कई शालाओं में शिक्षक मिले नदारद…!
एक स्कूल में तो ताला जड़ा मिला…!
बिलासपुर-[जनहित न्यूज़] शिक्षा की जड़ें तब हिलने लगती हैं, जब शिक्षक ही जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लें। ऐसा ही नज़ारा सामने आया जब कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) अनिल तिवारी ने बिल्हा एवं मस्तुरी ब्लॉक के सरकारी स्कूलों का आकस्मिक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान शासकीय विद्यालय शिक्षक-शिक्षिकाएं
पूरी तरह से नदारद रहे-:
एक स्कूल मे तो पूर्णत ताला जड़ा पाया गया
कौन-कौन से स्कूल में शिक्षक रहे अनुपस्थित…! शासकीय हाईस्कूल फरहदा
शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला गतौरा
शासकीय बालक प्राथमिक शाला, अनुसूचित जाति मोहल्ला, गतौरा प्राथमिक शाला आदिवासी मोहल्ला, गतौरा प्राथमिक शाला जनकपहरी (गतौरा) शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला, गतौरा इन सभी शालाओं में शिक्षकों का दूर-दूर तक अता-पता नहीं था।
इन अधिकारियों-
कर्मचारियों को जारी हुआ नोटिस…!

इन विद्यालयों में अनुपस्थित पाए गए प्राचार्य, प्रधान पाठक और शिक्षकों को डीईओ द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्हें तीन दिवस के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। यदि उत्तर संतोषजनक नहीं पाया गया, तो अकार्य दिवस घोषित कर वेतन रोकने एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

कुछ नाम विशेष जो अनुपस्थित रहे…!
माधुरी मानुरकर (प्राचार्य, हाईस्कूल फरहदा)
आरसी चौधरी (प्राचार्य, हायर सेकेण्डरी गतौरा)
मनोरमा राठौर, मधुकांत सोनी, सरस्वती राठौर (प्राथमिक शाला)
उषा पाण्डेय, मिंटु साण्डे, हेमलता राठौर, चित्रकांत शर्मा, अनिता देवी राठौर, उत्तरा बरिहा, फलप्रदा पटेल, माधुरी प्रधान, शकुंतला टोण्डे (पूर्व माध्यमिक शाला)
अमित मनहर, जयप्रकाश पाण्डेय, वर्षा रानी पाण्डेय, मेरी मिश्मा केरकेट्टा (अनुसूचित मोहल्ला शाला)
भृत्य: कैलाश महिलांगे
सफाई कर्मचारी भी अनुपस्थित मिले
शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान
यह घटना केवल ड्यूटी में लापरवाही नहीं, बल्कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था के प्रति उपेक्षा को उजागर करती है।

जिस समय राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में नामांकन और गुणवत्ता सुधार की बात कर रही है, उसी समय शिक्षक वर्ग का इस तरह से गैर-जिम्मेदाराना रवैया बच्चों के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ है।

अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस पर कितनी सख्ती दिखाता है। कलेक्टर के निर्देशों के बावजूद स्कूलों में शिक्षकों का नदारत मिलना गंभीर संकेत है कि कहीं न कहीं निगरानी में बड़ी चूक या मिलीभगत है। सवाल यह भी उठता है,
क्या शिक्षा का यह हाल बच्चों के भविष्य को गर्त में नहीं धकेल रहा..?

