पार्टनर राजेन्द्र मोटवानी पर 420 समेत कई धाराओं में केस दर्ज… पुलिस पत्र के बाद निगम की बड़ी कार्रवाई…!
बिलासपुर-[जनहित न्यूज]
शहर के रियल एस्टेट कारोबार में शुक्रवार को बड़ा धमाका हुआ। नगर निगम बिलासपुर ने शहर की चर्चित कंस्ट्रक्शन कंपनी अमलजोत डेवलपर्स के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उसका कॉलोनाइज़र लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
यह कार्रवाई तब हुई जब कंपनी के पार्टनर राजेन्द्र मोटवानी के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और कूटरचना के गंभीर आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस की आधिकारिक रिपोर्ट नगर निगम को प्राप्त होते ही निगम ने बिना देर किए कानूनी प्रावधानों के तहत निलंबन आदेश जारी कर दिया।
आइए जानते है कि क्या है पूरा मामला…?
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर के कार्यालय से 08 अक्टूबर 2025 को नगर निगम को एक पत्र भेजा गया। इसमें बताया गया कि शिकायतकर्ता पियूष गंगवानी द्वारा दी गई शिकायत पर अमलजोत डेवलपर्स के साझेदार राजेन्द्र मोटवानी पिता दुलाराम मोटवानी निवासी धानमंडी रोड, तोरवा चौक बिलासपुर के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, 471 (कूटरचना व जालसाजी) एवं 34 (साझे अपराध) भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध दर्ज किया गया है।
इस रिपोर्ट के आधार पर नगर निगम ने तुरंत छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम तथा नगर पालिका (कॉलोनाइज़र का पंजीयन, निर्बंधन एवं शर्तें) नियम 2013 की धारा 7 के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए कंपनी का लाइसेंस निलंबित करने का आदेश जारी किया।
कंपनी के चार साझेदारों पर असर …
अमलजोत डेवलपर्स के कुल चार पार्टनर हैं…भूपेन्द्र सिंह ठाकुर पिता सुखदेव सिंह ठाकुर, निवासी महामाया चौक, शिवघाट, सरकंडा राजेन्द्र मोटवानी पिता दुलाराम मोटवानी, निवासी धानमंडी रोड, तोरवा चौक अजय गुरुवानी पिता प्रकाश गुरुवानी, निवासी चंदेला विहार, प्रियदर्शिनी नगर अंकिता छाबड़ा पति सन्नी छाबड़ा, निवासी पंजाबी कॉलोनी, दयालबंद। इन चारों के नाम से नगर निगम बिलासपुर ने 25 जुलाई 2025 को कॉलोनाइज़र लाइसेंस क्रमांक 142, रजिस्ट्रेशन नंबर 272 जारी किया था। लेकिन अब राजेन्द्र मोटवानी पर दर्ज प्रकरण के कारण पूरी फर्म का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है।
निगम ने कहा…7 दिन में दें स्पष्टीकरण
नगर निगम ने आदेश में साफ लिखा है कि यदि बिल्डर या उसके किसी प्रतिनिधि को इस संबंध में कोई दस्तावेज या स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना है, तो 7 दिवस के भीतर विकास भवन स्थित भवन शाखा कार्यालय में उपस्थित होकर प्रस्तुत कर सकते हैं।
तब तक के लिए कंपनी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है कि वह कॉलोनी विकास या किसी भी प्रकार की विकास अनुज्ञा के लिए आवेदन नहीं कर सकेगी।
रियल एस्टेट जगत में मचा हड़कंप
निगम की यह कार्रवाई बिलासपुर के रियल एस्टेट जगत में हलचल मचा चुकी है।
सूत्रों के अनुसार, नगर निगम अब उन सभी कॉलोनाइज़र्स और बिल्डर्स की फाइलों की जांच करने की तैयारी कर रहा है जिनके खिलाफ शिकायतें या विवाद लंबित हैं।
कई बिल्डर्स का कहना है कि यह कदम पारदर्शिता की दिशा में जरूरी है, वहीं कुछ डेवलपर्स इस कार्रवाई को कठोर लेकिन उचित बता रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो…निगम के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि…रजिस्टर्ड कॉलोनाइज़र के किसी भी पार्टनर पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होने पर लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है। यह प्रावधान नियम 2013 की धारा 7 में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है।
नगर निगम पारदर्शिता और जनहित को सर्वोपरि मानते हुए यह कार्रवाई कर रहा है।” जनहित न्यूज की विशेष टिप्पणी…!
यह कार्रवाई नगर निगम द्वारा रियल एस्टेट सेक्टर में जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में उठाया गया कड़ा कदम मानी जा रही है।
राजेन्द्र मोटवानी के खिलाफ दर्ज प्रकरण और उसके बाद निगम का त्वरित निलंबन आदेश यह संकेत देता है कि अब बिलासपुर में बिल्डरों पर निगरानी और सख्ती बढ़ाई जानी चाहिए।

