
प्रेस वार्ता में शिक्षकों और शालाओं के युक्तियुक्तकरण पर कलेक्टर संजय अग्रवाल ने दी विस्तार जानकारी…
बिलासपुर [जनहित न्यूज़] बिलासपुर जिला कलेक्टर संजय अग्रवाल ने आज जिला कार्यालय के मंथन सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान शिक्षकों और शालाओं के युक्तियुक्तकरण पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब जिले में कोई भी स्कूल शिक्षकविहीन या एकल-शिक्षकीय नहीं है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
प्रेस वार्ता में नगर निगम आयुक्त अमित कुमार, संयुक्त संचालक शिक्षा आर. एन. आदित्य, डीईओ अनिल तिवारी समेत विभिन्न मीडिया माध्यमों से जुड़े पत्रकार उपस्थित थे। कलेक्टर ने उपस्थित पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों के उत्तर भी दिए।
युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य और प्रभाव
राज्य सरकार द्वारा शिक्षा को समावेशी और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए शालाओं एवं शिक्षकों का समायोजन किया जा रहा है। नगरीय क्षेत्रों में जहां अपेक्षाकृत अधिक शिक्षक कार्यरत हैं, वहीं ग्रामीण एवं दूरस्थ अंचलों में शिक्षकों की भारी कमी है, जिससे वहां की शैक्षणिक गतिविधियां बाधित हो रही थीं।
इस असंतुलन को दूर करने हेतु जिन शालाओं में शिक्षक अधिशेष थे, उन्हें ऐसे विद्यालयों में पुनर्संयोजित किया गया है, जहां इनकी आवश्यकता थी। इससे ग्रामीण इलाकों के बच्चों को गणित, विज्ञान जैसे विषयों में विशेषज्ञ शिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे।
आंकड़ों में युक्तियुक्तकरण
राज्य में 212 प्राथमिक व 48 पूर्व माध्यमिक स्कूल शिक्षकविहीन थे। वहीं, 6,872 प्राथमिक व 255 पूर्व माध्यमिक शालाएं एकल-शिक्षकीय थीं। बिलासपुर जिले में 4 प्राथमिक और 0 पूर्व माध्यमिक शाला शिक्षकविहीन थीं, जबकि क्रमशः 126 और 4 शालाएं एकल-शिक्षकीय थीं। अब इन विद्यालयों में शिक्षक पदस्थ कर दिए गए हैं।
बिलासपुर जिले में 431 स्कूलों (429 ई संवर्ग और 02 टी संवर्ग) का पुनर्संयोजन किया गया है। जिले में प्राथमिक स्तर पर 1,608 और पूर्व माध्यमिक स्तर पर 230 शिक्षकों की जरूरत थी। इसके मुकाबले क्रमशः 457 व 211 शिक्षक अधिशेष थे, जिन्हें समायोजित किया गया। संरचना, संसाधन और समावेशिता
युक्तियुक्तकरण से एक ही परिसर में संचालित स्कूलों को समाहित कर ‘क्लस्टर मॉडल’ अपनाया जा रहा है। इससे भवन, प्रयोगशाला, पुस्तकालय जैसी आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और खर्च में भी कमी आएगी।
छात्रों को तीन बार प्रवेश प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा, जिससे उनकी पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी और ड्रॉपआउट दर में भी गिरावट आएगी। असमानता को संतुलित करने की पहल शहरी इलाकों में छात्रों की तुलना में अधिक शिक्षक हैं। उदाहरण के तौर पर रायपुर के नयापारा कन्या स्कूल में 33 छात्राओं पर 7 शिक्षक हैं जबकि ग्रामीण स्कूलों में स्थिति विपरीत है। कोरबा, दुर्ग, राजनांदगांव, और खैरागढ़ जैसे जिलों में अनेक स्कूलों में या तो बहुत कम शिक्षक हैं या एक भी नहीं।
बिलासपुर जिले के आदिवासी बहुल गांवों – खपराखेल, कुसुमखेड़ा, सबरियाडेरा, लोहर्सी, डिलवापारा में पहले शिक्षक नहीं थे, अब वहां 2-2 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। तखतपुर के चितवार, मस्तूरी के जैतपुर, कोटा के तरवा और नगोई में पूर्व माध्यमिक शालाओं में 3-3 शिक्षक तैनात किए गए हैं। मस्तूरी के कुकुदा हाई स्कूल में 5, तखतपुर के सैदा में 4, और मस्तूरी के कुकुर्दीकला में 3 शिक्षक पदस्थ किए गए हैं। शहरी क्षेत्र की पूर्व माध्यमिक शाला तारबहार में दर्ज संख्या 142 होने के बावजूद 11 शिक्षक थे, जिन्हें अन्य विद्यालयों में स्थानांतरित किया गया है।
कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि यह समायोजन किसी प्रकार की कटौती नहीं बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और समानता की दिशा में एक बड़ा और जरूरी कदम है। जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी विद्यार्थी की पढ़ाई बाधित न हो।