शादी के महज दो दिन बाद ही दुल्हन
गहने जेवरात लेकर प्रेमी संग हुई फरार…!
11 महीने से न्याय के लिए भटक रहा है दूल्हा…!
बिलासपुर-{जनहित न्यूज़} जैजैपुर बिलाईगढ़ यह किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं। छत्तीसगढ़ के जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र में एक नवविवाहिता शादी के दो दिन बाद ही अपने प्रेमी के साथ फरार हो गई। और आज 11 महीने बाद भी पीड़ित दूल्हा न्याय के लिए थाना और समाज के चक्कर काट रहा है।
क्या है मामला?
कोटेतरा निवासी अशोक कुमार साहू, पिता राधेश्याम साहू की शादी 2 जुलाई 2024 को ग्राम सुलौनीकला (भटगांव), जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ की छाया साहू, पिता सोनाऊराम साहू के साथ सामाजिक रीति-रिवाजों से संपन्न हुई थी। लेकिन 4 जुलाई की रात, शादी के महज दो दिन बाद, छाया साहू घर से नगदी, सोना-चांदी और कपड़े लेकर रहस्यमयी तरीके से गायब हो गई
गुमशुदगी और फिर गायब हुई कार्रवाई
अगले ही दिन, 5 जुलाई को अशोक के परिवार ने जैजैपुर थाना में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। लेकिन आरोप है कि 11 महीनों में जैजैपुर पुलिस ने न तो छाया को तलाशने की कोई कोशिश की और न ही प्रेमी के साथ फरारी को गंभीरता से लिया।

बड़ी बात यह है कि छाया साहू खुद प्रेमी के साथ कुछ दिन पहले थाने पहुँची थी, लेकिन पुलिस ने न तो पूछताछ की और न ही कोई कानूनी कार्रवाई। पीड़िता की बजाय प्रेमिका के साथ लौटी छाया पर कोई सवाल नहीं उठाया गया।
समाज और थाने के बीच फंसा है दूल्हा
पिछले 11 महीनों से अशोक न सिर्फ थाना बल्कि साहू समाज के भी चक्कर काट रहा है। वह दोबारा शादी करना चाहता है, लेकिन समाज और थाना से किसी प्रकार की अनुमति या फैसला नहीं मिल पा रहा।

(प्रेमी)
समाज में ही रोड़ा बन रहे कुछ पदाधिकारी
एक समाजिक पदाधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि कुछ प्रभावशाली लोग जानबूझकर मामले में फैसला नहीं होने दे रहे हैं। समाजिक निर्णय में रोड़ा अटकाने वाले यही लोग पीड़ित को मानसिक रूप से तोड़ रहे हैं।
पीड़ित की अपील
अशोक का कहना है। “दुल्हन तो अपनी दुनिया बसा चुकी है। लेकिन मुझे अपनी ज़िंदगी फिर से शुरू करने के लिए न समाज साथ दे रहा है न थाना। मैं हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि मुझे दोबारा शादी की अनुमति दी जाए ताकि मैं फिर से अपनी ज़िंदगी संवार सकूं।”

यह कहानी महज एक युवक की नहीं, एक सवाल है क्या हमारी सामाजिक और न्यायिक व्यवस्था में प्रेम में भागी एक महिला को माफ कर दिया जाता है लेकिन पीड़ित पुरुष को अकेले संघर्ष करना पड़ता है?
अब देखना ये होगा कि क्या पुलिस और समाज इस मुद्दे पर अपनी नींद तोड़ेंगे या फिर अशोक की जिंदगी यूं ही ठहरी रहेगी…!

