महज 24 घंटो में पुलिस ने अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाई…! आरोपी गिरफ्तार…
बिलासपुर-[जनहित न्यूज़] बिलासपुर के कोटा थाना क्षेत्र के ग्राम खुरदुर में 60 वर्षीय कुंवारियां बाई बघेल की निर्मम हत्या की गुत्थी पुलिस ने सुलझा दी। लेकिन जो सच्चाई सामने आई, उसने रिश्तों के तमाम मायनों को शर्मसार कर दिया।
जिस बुज़ुर्ग महिला ने जीवनभर अकेलेपन को जीकर खेत-खलिहानों को संजोया, उसी की हत्या उसके ही घर के नजदीकी ने की उसके बहन का बेटा। सिर्फ इसलिए क्योंकि “बड़ी मां ने नाना की जमीन में हिस्सा नहीं दिया…”
रिश्ते हुए तार-तार…!
कुंवारियां बाई का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने अपने हिस्से की जमीन बाँटना नहीं चाहा। इस मामूली विवाद ने भांजे सौखी नवरंग के भीतर वर्षों से पल रहे क्रोध को ऐसा उफान दिया कि उसने रिश्तों की गरिमा को कुल्हाड़ी के धारदार वारों से लहूलुहान कर दिया। परसा पत्ता तोड़ने गई थी… मौत बनकर आया भांजा 18 जून की दोपहर। कुंवारियां बाई रोज़ की तरह गांव के बाहर होल्हे मैदान में परसा पत्ता तोड़ने गई थीं। वहीं घात लगाए बैठा सौखी नवरंग पीछे से आया और कुल्हाड़ी से सिर और गले पर एक के बाद एक वार कर उसे मौत की नींद सुला दिया।
गांव वालों को बुज़ुर्ग महिला का रक्तरंजित शव दिखा तो सनसनी फैल गई। पुलिस को सूचना दी गई। शव के पास पड़ा टांगिया (कुल्हाड़ी) और घटनास्थल पर मिले सुरागों से एक-एक परतें खुलने लगीं।
विज्ञान और संवेदना के साथ पुलिस की तेज़ जांच वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के निर्देश पर एएसपी अर्चना झा और एसडीओपी नूपुर उपाध्याय के मार्गदर्शन में FSL, डॉग स्क्वॉड और कोटा थाना पुलिस की संयुक्त टीम ने वैज्ञानिक तरीक़े से जांच शुरू की।
जांच के दौरान सामने आया कि मृतका के पांच बहनों में जमीन का बंटवारा नहीं हुआ था। संदेह की सुई सौखी नवरंग पर आकर टिक गई। पूछताछ में उसने हत्या की बात स्वीकार कर ली।
पुलिस टीम को सैल्यूट…

इस पूरे मामले की तफ्तीश में थाना प्रभारी तोप सिंह नवरंग व उनकी टीम एएसआई ओंकार प्रसाद, प्रधान आरक्षक घनश्याम, आरक्षक भोप, जलेश्वर, सोमेश्वर, अजय आदि की भूमिका सराहनीय रही।
एक सवाल, जो हर गांव-कस्बे को झकझोरता है…! क्या अब जमीन का मतलब जान से बड़ा हो गया है?

क्या बंटवारा करने से रिश्ते बंटने लगते हैं, या न करने से मरते हैं? 60 साल की एक महिला, जिसने न कोई संतान पाली, न पति का सहारा मिला… वह अपनों की ज़मीन बचाते-बचाते अपनी ही जान गंवा बैठी। सवाल ये नहीं कि आरोपी कौन था..? सवाल ये है कि क्या हम इतने असंवेदनशील हो गए हैं कि कुछ एकड़ खेत की कीमत खून से चुकाने लगे हैं..?
जनहित न्यूज़ की ओर से कुंवारियां बाई को श्रद्धांजलि और इस समाज को एक विनम्र चेतावनी रिश्तों को जमीन के नीचे मत दफनाइए…

