दीक्षांत समारोह में स्थानीय जनप्रतिनिधि को किया नजरअंदाज..
लोकतंत्र के लिए शर्मनाक घटना..
बिलासपुर-[जनहित न्यूज़] दीक्षांत समारोह में बेलतरा विधानसभा के स्थानीय विधायक की जिस तरह से उपेक्षा की गई, वह न केवल हैरान करने वाली है बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। सत्ताधारी दल के स्थानीय विधायक होने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने न बैठने की व्यवस्था की, न ही कुलपति के स्वागत भाषण में विधायक का नाम लेना उचित समझा।
विश्वविद्यालय का पूरा परिसर बेलतरा विधानसभा में आता है, ऐसे में स्थानीय जनप्रतिनिधि को सम्मान देना विश्वविद्यालय प्रशासन की मूल जिम्मेदारी थी, लेकिन इसके विपरीत जो घटना सामने आई वह लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ सरासर खिलवाड़ है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना साफ़ तौर पर दर्शाती है कि सरकार का विश्वविद्यालय पर कोई नियंत्रण नहीं बचा है और अफसरशाही पूरी तरह बेलगाम हो चुकी है। अब सवाल उठ रहे हैं, क्या यह सब सिर्फ़ लापरवाही थी या फिर किसी बड़े इशारे पर स्थानीय विधायक को किनारे लगाने की शुरुआत…?
पूर्व जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष एवं बेलतरा विधानसभा से विधायक प्रत्याशी विजय केशरवानी ने इसे सरकार द्वारा लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनप्रतिनिधियों के सम्मान का गिरता स्तर बताया। उन्होंने कहा कि जब स्थानीय जनप्रतिनिधि को सार्वजनिक कार्यक्रम में नजरअंदाज किया जा रहा है, तब आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि छात्रहित और आम जनता के मुद्दों पर यह प्रशासन कितनी संवेदनशीलता से कार्य कर रहा होगा।
उन्होंने कड़ा बयान देते हुए कहा…
जनप्रतिनिधि का अपमान लोकतंत्र का अपमान है। यह सरकार अफसरशाही को खुली छूट दे रही है, और लगता है आरएसएस के इशारों पर चुने हुए प्रतिनिधियों को दरकिनार करने की राजनीतिक शुरुआत हो चुकी है।
इस पूरे प्रकरण ने बिलासपुर में राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है और जनता के बीच यह सवाल गूंज रहा है कि क्या लोकतांत्रिक संस्थाओं में अब जनप्रतिनिधि अप्रासंगिक कर दिए जाएंगे?

