“स्थानांतरण सूची में घोर लापरवाही हुई उजागार…! अनुमोदित 10 कर्मचारियों की सूची में 11वां नाम “अलग से जोड़ा गया
प्रशासनिक पारदर्शिता पर
उठा विस्फोटक सवाल…!
बिलासपुर-{जनहित न्यूज़} बिलासपुर जिला प्रशासन की ओर से हाल ही में जारी की गई स्थानांतरण सूची में ऐसा विस्फोटक खुलासा हुआ है, जिसने न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं, बल्कि ट्रांसफर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया है। अनुमोदित 10 कर्मचारियों की सूची में 11वां नाम “अलग से जोड़ा गया”, वह भी एक अस्थायी महिला कर्मचारी का जिसने आवेदन तक नहीं किया था। गंभीर लापरवाही या सुनियोजित खेल?
जिला पशु चिकित्सा विभाग की परिचारिका मनीषा सिंह, जो आकस्मिक निधि (अनियमित) के तहत कार्यरत हैं, का नाम इस सूची में 11वें स्थान पर अचानक जोड़ दिया गया। न तो उन्होंने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया, न ही वे नियमित स्टाफ की श्रेणी में आती हैं.. फिर भी उनका तबादला 40–50 किमी दूर सिंघनपुरी (तखतपुर ब्लॉक) कर दिया गया। जबकि स्थानांतरण नियम स्पष्ट रूप से केवल नियमित कर्मचारियों पर लागू होते हैं। मनीषा सिंह का फूटा दर्द…!
अपने पति अजय कुमार सिंह के साथ कलेक्ट्रेट पहुँचीं मनीषा सिंह ने कहा… जबरदस्त आपत्ति दर्ज कराई और तबादला निरस्त करने की मांग की। उन्होंने कहा “मेरे छोटे बच्चे हैं, मैंने कभी ट्रांसफर के लिए
आवेदन नहीं किया। यह सरासर अन्याय
है। ‘म्यूचुअल’ ट्रांसफर… बिना सहमति!
राजस्व विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हितेश कुमार का मामला और भी चौंकाने वाला है। उनका स्थानांतरण कोटा से बिलासपुर कर दिया गया, लेकिन आदेश में इसे ‘म्यूचुअल ट्रांसफर’ बताया गया है जबकि हितेश ने स्पष्ट इंकार कर दिया था। “कोई कर्मचारी जरूर सहमति लेने आया था, पर मैंने मना कर दिया। इसके बावजूद मेरा नाम म्यूचुअल ट्रांसफर में कैसे आया?” हितेश कुमार जवाब देने से बचते अधिकारी जब पत्रकारों ने इस गंभीर गड़बड़ी को लेकर वित्त एवं स्थापना विभाग से जवाब मांगा, तो प्रमुख जमुना प्रसाद ने सीधा जवाब देने से इंकार करते हुए मामला स्थापना शाखा प्रभारी एस.एस. दुबे के हवाले कर दिया। प्रशासनिक जवाबदेही से बचने की यह प्रवृत्ति ही पूरे मामले को और अधिक संदिग्ध बना रही है। आइए जानते है क्या है असली सच…?
अनुमोदन सूची में केवल 10 नाम थे, 11वां नाम अलग से जोड़ा गया। बिना आवेदन व पात्रता के अनियमित कर्मचारी का ट्रांसफर।
सहमति के बिना म्यूचुअल ट्रांसफर का आदेश जारी।
जांच होगी या फाइलों में दफन होगा मामला…?
अब बड़ा सवाल ये है की क्या जिला प्रशासन इस विस्फोटक मामले की निष्पक्ष जांच करेगा? या फिर यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह “रूटीन फाइल” में दबा दिया जाएगा?
जनता और कर्मचारियों में आक्रोश-:
प्रशासनिक ‘खेल’ की इन खबरों से कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है और जनता के बीच यह धारणा बन रही है कि “सिफारिश, दबाव और अंदरूनी सांठगांठ” से ही तबादलों की लिस्ट तैयार होती है।
जनहित न्यूज़ की टीम इस मामले की बारीकी से निगरानी कर रही है और जांच की दिशा में प्रशासनिक कार्रवाई की अगली कड़ी की प्रतीक्षा कर रही है। सवाल स्पष्ट हैं, जवाब आना अभी बाकी है।


