IADVL छत्तीसगढ़ के विशेष सहयोग से पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों को मिला स्वास्थ्य लाभ…
बिलासपुर [जनहित न्यूज़] बिलासपुर पुलिस अब सिर्फ कानून व्यवस्था ही नहीं, बल्कि जनकल्याण और मानव सेवा की दिशा में भी अग्रसर हो रही है। इसी क्रम में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के निर्देश पर और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (यातायात) रामगोपाल करियारे के नेतृत्व में आज चेतना भवन, रक्षित केंद्र में एक दिवसीय “यातायात निःशुल्क स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिविर” का भव्य आयोजन किया गया।

इस शिविर में यातायात पुलिस, जिला पुलिस
बल के अधिकारी-कर्मचारी और उनके परिवारजनों ने स्वास्थ्य परामर्श एवं उपचार सेवाओं का निःशुल्क लाभ उठाया। विशेष रूप से त्वचा एवं अन्य शारीरिक व्याधियों की जाँच और उपचार की विस्तृत व्यवस्था की गई थी।

चिकित्सा भी मानव सेवा का दूसरा नाम
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित एसएसपी रजनेश सिंह ने इस आयोजन को संबोधित करते हुए कहा, “पुलिस सेवा की तरह चिकित्सा सेवा भी मानवता का एक सशक्त
माध्यम है।

ऐसे आयोजनों से हम अपने जवानों और उनके परिवारों की सेहत की चिंता कर उनके प्रति हमारी संवेदनशीलत को दर्शाते हैं।” उन्होंने दिन-रात ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों की अनियमित दिनचर्या के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया और विशेषज्ञ डॉक्टरों व मेडिकल प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस सेवा में सहयोग दिया।

ख्यातिलब्ध डॉक्टरों ने दी सेवाएं…
इस शिविर में देश के विभिन्न भागों, विशेष रूप से मुंबई और नगर से आये IADVL (Indian Association of Dermatologists, Venereologists and Leprologists) छत्तीसगढ़ के सहयोग से प्रसिद्ध त्वचा रोग विशेषज्ञों ने सेवाएं दीं।

प्रमुख चिकित्सकों में शामिल रहे:
डॉ. दीपक सरकार, डॉ. जे.पी. स्वैन, डॉ. संतोष अग्रवाल,डॉ. कल्पना लूथरा, डॉ. अदिति बंसल दुबे, डॉ. भव्या स्वर्णकार, डॉ. मंजीत गुप्ता, डॉ. संगीता सिंह, डॉ. शिल्पी लकड़ा,
डॉ. डेनिस हेनरी, डॉ. पारुल जेमनानी
इस अवसर पर डॉ. मोहन गुप्ता और डॉ. डेविड हेनरी का विशेष मार्गदर्शन रहा, जबकि डॉ. अजय पांडे (अध्यक्ष) और डॉ. डेनियल हेनरी (सचिव)

IADVL छत्तीसगढ़ ने पूरे आयोजन को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई
दवाओं का भी हुआ निःशुल्क वितरण
शहर के मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव संघ की भागीदारी से, चिकित्सकों द्वारा सुझाई गई दवाइयाँ शिविर में उपस्थित लाभार्थियों को नि:शुल्क वितरित की गईं, जिससे शिविर पूर्ण रूप से प्रभावी एवं सहायक सिद्ध हुआ।
चेतना भवन बना सेवा का केंद्र।


