पीएचई विभाग में बाबूशाही का बोलबाला…!
ट्रांसफर रिलीव ऑर्डर सिर्फ कागज़ी कार्रवाई तक सिमटा…!
रसूख के आगे सिस्टम हुआ बौना साबित….!
बिलासपुर-[जनहित न्यूज] लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) में भ्रष्टाचार और रसूखदारी का ऐसा जाल बिछा है, जिसकी परतें खुलते ही विभाग की साख सवालों के घेरे में आ रही है। सब-डिवीजन बिलासपुर में पदस्थ बाबू सुनील कुमार जगत इसका ताजा उदाहरण हैं।
ट्रांसफर और रिलीव सिर्फ कागजों तक सीमित…?
जगत बाबू का आधिकारिक तबादला सब-डिवीजन में हुआ और रिलीविंग ऑर्डर भी निकल गया, लेकिन हकीकत ये है कि वे अब भी कलेक्ट्रेट के सामने स्थित मुख्य डिवीजन कार्यालय में जमे हुए हैं। सवाल उठता है।
जब आदेश हो चुका तो बाबू वहां क्यों डटे हैं…?
रसूख और चापलूसी का खेल बताया जाता है कि जगत बाबू ईई (कार्यपालन अभियंता) की चापलूसी और अपने रसूख के दम पर सिस्टम को चुनौती दे रहे हैं। विभागीय कर्मचारी भी मानते हैं कि जिसकी पहुंच ऊपर तक हो, उसका कुछ नहीं बिगड़ता।
जलजीवन मिशन में पलीता…?
पीएचई की सबसे महत्वपूर्ण योजना जलजीवन मिशन में भी इनकी भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो चुके हैं। आरोप है कि जगत बाबू अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए नियम-कायदों को ताक पर रख देते हैं। ठेके, भुगतान और गुणवत्ता सबमें सवाल खड़े हैं।
कमीशनखोरी का अड्डा
विभागीय सूत्रों का कहना है कि कमीशनखोरी ही असली वजह है कि जगत बाबू मुख्यालय से हटना नहीं चाहते। यहां से न केवल ठेकों में खेल करना आसान है, बल्कि अपने रिश्तेदारों को भी लाभ दिलाने के रास्ते खुल जाते हैं।
दफ्तर या निजी अड्डा…?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि डिवीजन ऑफिस, जहां जनता की समस्याओं का समाधान होना चाहिए, वहां देर रात तक ठेकेदारों के साथ पार्टियां होती हैं। यह न सिर्फ सरकारी दफ्तर की गरिमा को ठेस है बल्कि विभागीय अनुशासन की भी धज्जियां उड़ाता है।
सवाल जो विभाग से पूछे जाने चाहिए

जब बाबू ट्रांसफर और रिलीव हो चुके हैं तो वे डिवीजन ऑफिस में कैसे जमे हैं…?
क्या विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत बिना यह संभव है…?
जलजीवन मिशन जैसी योजना में लापरवाही और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने की जिम्मेदारी कौन लेगा…?
अगर शिकायतें दर्ज हैं तो जांच आगे क्यों नहीं बढ़ी…?
एक तीखा सवाल…! पीएचई जैसे विभाग का अस्तित्व जनता की बुनियादी ज़रूरत पानी से जुड़ा है। लेकिन यदि यही विभाग बाबूशाही, कमीशनखोरी और रसूखदारी का अड्डा बन जाए, तो योजनाएं जनता तक कैसे पहुंचेंगी…?
अगले अंक में…
जनहित न्यूज यह उजागर करेगा कि विभाग में गाड़ी सबसे तेज किसकी दौड़ रही है, और किन-किन के तार कहां-कहां जुड़े हैं… क्रमशः

