मुंगेली की आम जनता बनी साक्षी…!
पुलिस परिवार ने रचा इतिहास…
शहीदों की स्मृति में चल रही भागवत कथा में भव्य ‘रुक्मिणी विवाह हुआ उत्सव सम्पन्न…!
मुंगेली-{जनहित न्यूज़}
मुंगेली पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के नेतृत्व और पुलिस परिवार के तत्वावधान में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव का छठवां दिन इतिहास बन गया। शहीदों एवं स्वर्गीय पुलिसकर्मियों की पावन स्मृति को समर्पित इस महोत्सव में रविवार को भव्य ‘रुक्मिणी विवाह उत्सव’ का आयोजन हुआ।
पुलिस परिवार ने निभाई अनोखी भूमिका
इस अद्वितीय आयोजन में पुलिस परिवार दो हिस्सों में बंट गया। एक पक्ष ने बराती का रूप धारण किया तो दूसरा पक्ष घराती बनकर विवाह संस्कार का हिस्सा बना। परंपरा, श्रद्धा और उत्साह का ऐसा संगम प्रदेश में पहली बार देखने को मिला।

हल्दी और संगीत से सजी रस्में
दोपहर में पारंपरिक हल्दी समारोह से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। पुलिस परिवार की महिलाओं ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। शाम को संगीत संध्या में पुलिसकर्मी और उनके परिवार गीत-संगीत पर थिरके और पूरे वातावरण को उल्लासमय बना दिया।

झांकी और गाजे-बाजे संग निकली बारात
बराती पक्ष बने पुलिसकर्मियों ने पुराने पुलिस कॉलोनी से श्रीकृष्ण की भव्य झांकी और गाजे-बाजे के साथ बारात निकाली।

ढोल-नगाड़ों की गूंज और जयकारों के बीच निकली यह शोभायात्रा नगर के पंडरिया रोड स्थित आर.के. पैलेस मैरिज हॉल पहुँची। घरातियों का आत्मीय स्वागत मैरिज हॉल में घराती पक्ष बने पुलिसकर्मियों ने परंपरा के अनुसार बारात का आत्मीय स्वागत किया। माहौल में वास्तविक विवाह जैसा उल्लास और भक्ति दोनों का अद्भुत संगम देखने को मिला।

वैदिक विधि से संपन्न हुआ पावन विवाह
वैदिक मंत्रोच्चारण और पूर्ण विधि-विधान के बीच भगवान श्रीकृष्ण एवं माता रुक्मिणी का विवाह संस्कार संपन्न कराया गया। श्रद्धालु माहौल में हर कोई भक्ति और आनंद में डूबा नजर आया।

भोज और उल्लास का वातावरण
विवाह संस्कार के बाद बराती, घराती और आमंत्रित अतिथियों के लिए भव्य भोज का आयोजन हुआ। भोजन के साथ ही नृत्य-गान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से उत्सव का आनंद चरम पर पहुँच गया।
अधिकारी-कर्मचारियों की मौजूदगी और जनभावना।

इस मौके पर पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल सहित पुलिस विभाग के सभी अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे और उन्होंने इस अनोखे धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन का भरपूर आनंद लिया।

जनता ने कहा कि यह आयोजन पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में अपनी तरह का पहला है, जिसने न केवल शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी, बल्कि धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत कर दिया।

यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि पुलिस विभाग की मानवीय संवेदनशीलता और शहीदों के प्रति कृतज्ञता का ऐतिहासिक उदाहरण बनकर उभरा है।


