कांग्रेस की शरण में पलपोस रहा अपराध जगत का सरगना अकबर खान अंततः गिरफ्तार…!
बिलासपुर-[जनहित न्यूज़]
बिलासपुर पुलिस ने मस्तूरी गोलीकांड की गुत्थी को सुलझाते हुए एक बार फिर अपराध जगत में हड़कंप मचा दिया है। पुलिस ने साजिश में शामिल दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें मोपका निवासी अकबर खान का नाम सबसे चौंकाने वाला है वह लंबे समय से अपराध के मामलों में संलिप्त रहा है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते कानून के शिकंजे से बचता रहा।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह (भा.पु.से.) के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने विवेचना क्रम में अब तक कुल 09 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि मस्तूरी शूटआउट कोई आकस्मिक वारदात नहीं, बल्कि राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई और निजी रंजिश का परिणाम था, जिसमें योजनाबद्ध तरीके से हमला किया गया था।
अकबर खान की भूमिका पर बड़ा खुलासा
गिरफ्तार आरोपी अकबर खान पिता गुलाब जान खान (उम्र 53 वर्ष, निवासी शिव विहार, मोपका) का नाम बिलासपुर के कई गंभीर मामलों में पहले से दर्ज है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, खान लंबे समय से शहर में आपराधिक नेटवर्क चलाता आ रहा है और कांग्रेस से जुड़े स्थानीय नेताओं की छत्रछाया में उसकी सक्रियता बढ़ी थी।
इस बार वह मस्तूरी शूटआउट के षड्यंत्र में शामिल पाया गया एक ऐसी घटना जिसने पूरे जिले की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए।

अब तक की कार्रवाई
आज गिरफ्तार आरोपी…
देवेश सुमन उर्फ निक्कु सुमन, निवासी मोहतरा अकबर खान, निवासी शिव विहार, मोपका पूर्व में गिरफ्तार…
विश्वजीत अनंत, अरमान उर्फ बलमजीत, चाहत उर्फ विक्रमजीत, मोहम्मद मुस्तकीम, मोहम्मद मतीन, ब्रायनजीत उर्फ आरजू और एक किशोर
सहित कुल 7 आरोपी
अब तक जप्त सामग्री…
03 देशी पिस्टल, 02 देशी कट्टा
06 मैगजीन, 05 जिंदा कारतूस
13 खाली खोखा, 05 मोबाइल फोन
कैसे रची गई साजिश
नितेश सिंह और मुख्य आरोपी विश्वजीत अनंत के बीच भूमि विवाद, अतिक्रमण और राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई लंबे समय से चल रही थी। इसी रंजिश में 28 अक्टूबर को अनंत भाइयों और सहयोगियों ने नितेश सिंह पर फायरिंग की साजिश रची।
दो मोटरसाइकिलों में सवार नकाबपोश हमलावरों ने मस्तूरी मेन रोड पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिसमें राजू सिंह और चंद्रभान सिंह घायल हो गए।
एसएसपी रजनेश सिंह के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने 24 घंटे के भीतर सात आरोपियों को पकड़ लिया था, जबकि आगे की जांच में सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन से षड्यंत्र का पूरा जाल सामने आया।
संगठित अपराध की धारा जोड़ी गई
पुलिस ने अब इस पूरे मामले में धारा 111 BNS (संगठित अपराध) जोड़ दी है।
बिलासपुर पुलिस के अनुसार, सभी आरोपी पूर्व में भी कई गंभीर अपराधों में लिप्त रहे हैं और अब इस नेटवर्क को पूरी तरह नेस्तनाबूद करने की तैयारी चल रही है।
जनता का सवाल अपराधी या संरक्षित कार्यकर्ता…?
अकबर खान का नाम हर बार किसी न किसी आपराधिक वारदात में सामने आता है, लेकिन राजनीतिक छत्रछाया के कारण कार्रवाई ठंडी पड़ जाती है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है। अगर अपराधियों को राजनीतिक सुरक्षा मिलती रही, तो कानून का डर खत्म हो जाएगा।
बिलासपुर पुलिस की यह कार्रवाई निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन अब जनता की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अपराधियों पर भी सख्त कार्रवाई जारी रहेगी या फिर यह गिरफ्तारी भी कुछ समय बाद राजनीतिक दबाव में ठंडी पड़ जाएगी।

