गिरफ्तारी के बाद चंद मिनटों में ही छूट गए आरोपी हमलावरों से कांग्रेस ने किया किनारा!
27-सितंबर,2020
कांकेर-{जनहित न्यूज़} कांग्रेस को लेकर हमेशा से आम धारणा रही है कि पार्टी चाहे जैसी भी हो लेकिन इसका लोकतंत्र पर विश्वास है। लेकिन कांकेर में जिस तरह से सरेआम पत्रकारों पर कांग्रेसी नेताओं ने हमले किए और अब जिस तरह से मामले को रफा-दफा किया जा रहा है उससे यह विश्वास डोलने लगा है। सभी सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो वायरल होने के बाद देशभर में इसकी कड़ी आलोचना हो रही है । चुनाव से पहले कांग्रेसी नेता पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने और उसे सख्ती से लागू करने का दावा कर रहे थे लेकिन अब जिस तरह से उनके ही नेता और कार्यकर्ता सरेआम पत्रकारों को घसीट घसीट कर मार रहे हैं ,उससे कथनी और करनी का अंतर साफ दिख रहा है।
कांकेर के पत्रकार सतीश यादव के अनुसार वे हमेशा से नगरपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ खबरें लिखते रहे हैं। रेत माफिया का अवैध उत्खनन भी उनकी रिपोर्टिंग का हिस्सा रहा है, जिसे लेकर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने उनके साथ उस वक्त मारपीट की जब वे एक चाय की दुकान में बैठे थे । कांग्रेसी नेता उन्हें पीटते हुए थाने तक लेकर गए और वहां भी उनकी पिटाई की। इसकी सूचना मिलने के बाद कई और पत्रकार साथियों के साथ घूमकाल समाचार के संपादक कमल शुक्ला भी थाने पहुंच गए लेकिन वहां पुलिस का रवैया देखकर सारे पत्रकार हैरान रह गए। गुंडे की शक्ल में कांग्रेस के स्थानीय विधायक शिशुपाल सोरी के प्रतिनिधि बाकायदा पिस्तौल लहराते हुए थाने में ही पत्रकारों को जान से मारने की धमकी देता रहा।
आरोप है कि यह सभी लोग खनिज और रेत के अवैध कारोबार में लिप्त है। पुलिस ने उन्हें रोकने की जगह उल्टा उकसाने का काम किया। गुंडों का रवैया देखकर कमल शुक्ला ने पुलिस से कहा भी कि उन पर हमला हो सकता है लेकिन फिर भी पालघर की तरह पत्रकारों को भी थाने से बाहर कर गुंडों के हवाले कर दिया गया। जिसके बाद कांग्रेस नेता मकबूल खान, मोनू शादाब, जितेंद्र सिंह ठाकुर ने गाली गलौज करते हुए कमल शुक्ला को सड़क पर घसीट घसीट कर मारा। यहां तक कि उनका गला रेतने की कोशिश की और पिस्तौल से मारकर उनका सर भी फोड़ दिया। कुछ लोगों ने बीच-बचाव कर किसी तरह उनकी जान बचाई। पत्रकार कमल शुक्ला का आरोप है कि जैसे ही पत्रकार बाहर आए उन पर लगभग 300 लोगों ने हमला कर दिया । उनके सर पर पिस्टल से प्रहार किया गया। बाद में पुलिस ने बड़े ही बेमन से जितेंद्र सिंह ठाकुर, गफ्फार मेमन ,गणेश तिवारी और शादाब खान के खिलाफ मामला दर्ज किया लेकिन उनके खिलाफ गैर जमानती धारा लगाने के कारण उन्हें थाने से ही जमानत पर छोड़ दिया गया। हमले में घायल कमल शुक्ला ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि उन पर हमला छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की जानकारी में हुआ है। उन्होंने दावा किया कि उनके राजनीतिक सलाहकार और मंत्री का दर्जा प्राप्त कांग्रेस नेता राजेश तिवारी का एक ऑडियो उनके पास है जिसमें वे कांकेर कलेक्टर और एसपी को बोल रहे हैं कि 2 घंटा तक किसी का फोन नहीं उठाना है । उन्होंने यह भी दावा किया कि इसी वजह से थाने में केवल 10 पुलिस वालों को ही रखा गया था, ताकि उनकी हत्या की जा सके ।आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बजाय अब पत्रकारों के खिलाफ ही आरोपियों की ओर से मुकदमा दर्ज करा कर उनकी गिरफ्तारी की योजना बनाई जा रही है । पत्रकारों का आरोप है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी कहती है कि वह पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है लेकिन जमीन पर कुछ और ही सच्चाई नजर आ रही है। हैरान करने वाली बात यह भी है कि कांग्रेस पार्टी के मीडिया प्रभारी शैलेश नितिन त्रिवेदी ने इसे पत्रकारों के बीच आपसी मारपीट बताया है। उन्होंने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि पत्रकार कमल शुक्ला पर हमला करने वालों का कांग्रेस से कोई संबंध है।
सोशल मीडिया पर भी कुछ कार्यकर्ता यह बताने की कोशिश करते दिखे कि दरअसल यह दो पत्रकारों के बीच की लड़ाई है। लेकिन जब पत्रकार कमल शुक्ला पर हमला करने वालों की फेसबुक प्रोफाइल और पुराने विज्ञापन सोशल मीडिया पर आए तो यह स्पष्ट होने लगा कि उनका संबंध कांग्रेस से है। जितेंद्र सिंह ठाकुर ने फेसबुक पर खुद को कांग्रेस पार्टी से कांकेर नगर पालिका परिषद का पूर्व अध्यक्ष बताया है। गफ्फार मेमन ने फेसबुक में अपनी पहचान कांकेर की जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री के तौर पर लिखी है। शादाब खान भी खुद को कांकेर शहर युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बता रहा हैं । गणेश तिवारी ने खुद को कांग्रेस नेशनल सेक्रेटरी बताया है। बताया जा रहा है कि सतीश यादव के साथ जब इन लोगों ने कमल शुक्ला को देखा तो इनका गुस्सा फूट पड़ा क्योंकि 21 सितंबर को नगर पालिका में चल रही गुंडागर्दी के खिलाफ कमल शुक्ला ने एक पोस्ट की थी । इससे पहले भी वे इन तत्वों के खिलाफ लगातार फेसबुक पर पोस्ट किया करते थे।
पत्रकारों के साथ की गई मारपीट के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने साफ कहा है कि यह घटना बताती है कि प्रदेश में आम नागरिकों के साथ पत्रकार भी सुरक्षित नहीं है। जो भी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले उजागर करेगा उसके साथ कांग्रेस इसी तरह गुंडागर्दी करेगी । बस्तर में अब पत्रकारिता दो धारी तलवार पर चलने जैसी हो चुकी है । एक तरफ नक्सलियों का डर तो दूसरी ओर राजनीति का चोला ओढ़े ऐसे गुंडे हैं जो पत्रकारों पर हमले करने से भी गुरेज नहीं कर रहे। देशभर में इस घटना की आलोचना हो रही है। सभी ने इसे एक स्वर में सुनियोजित, पूर्व कल्पित और शर्मनाक हमला बताया है। हमले के दौरान हमलावरों ने पत्रकार कमल शुक्ला का मोबाइल भी लूट लिया वही कांकेर के पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया क्योंकि हमला करने वाले गुंडे तो कुछ ही देर में छूट गए। अब पत्रकारों पर गुंडों ने जो मुकदमा दर्ज कराया है उसके चलते पत्रकारों पर ही गिरफ्तारी की आशंका गहरा रही है। लोगों का गुस्सा इस बात पर भी फूट पड़ा है कि आमतौर पर सभी मुद्दों पर बोलने वाले मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर पूरी तरह खामोश है। बताया जा रहा है कि जिन लोगों ने पत्रकार सतीश यादव और कमल शुक्ला पर हमले किए वे वह कांकेर के जाने पहचाने बदमाश है और इस तरह की घटनाओं में हमेशा उनकी भूमिका रहती है। लेकिन राजनीतिक आकाओं का वरद हस्त होने से उनका कभी बाल बांका नहीं होता। इस मामले में प्रदेश सहित देश भर के तमाम पत्रकार संगठन अपने लेख और प्रदर्शन से घटना का विरोध करते हुए दोषियों पर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं लेकिन पुलिस ने जिस तरह से आरोप दर्ज किया है उससे लगता नहीं कि दोषियों के खिलाफ कोई कड़ी कार्यवाही होगी। उल्टे प्रदेश के सभी पत्रकारों को इस बहाने एक संदेश दिया जा रहा है कि वे लहरों के विपरीत जाने की कोशिश ना करें।