ग्रा.पं. कलारतराई के बांकीघाट में गोयल क्रेशर कर रहा अवैध उत्खन्न.. रोक लगाएं प्रशासन●●●
बिलासपुर-[जनहित न्यूज़] ग्रा.पं. खरगहनी में 52 एकड़ आदिवासी परिवारों की जमीन अवैध तरीके से महावीर कोल कंपनी के नाम पर बेच कर रजिस्ट्री करा दी गई है जिसे आदिवासी परिवारों के साथ छल माना जा रहा है। सोमवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पहुंचे गांव के पीड़ित और प्रभावितों ने जिला प्रशासन से इस मामले में गहराई के साथ जांच की मांग की है। सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप अग्रवाल,उदय सिंह,शंकर यादव,राजेश साहू,और चेलाराम सहित अन्य ग्रामीणों ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए गांव और अपनी पीड़ा बताई। कलारतराई के बांकीघाट में लगातार पत्थर एवं मुरुम का अवैध उत्खन्न किया जा रहा है जो कि पहाड है, पहाड़ से पत्थर उत्खन्न की खनिज विभाग में लिज की अनुमति कैसे प्रदान की गई। यह अपने आप में मिलिभगत को दर्शाता है। समय रहते इस अवैध उत्खन्न को रोक नही लगाई जाती है तो पहडों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा।
ग्रामपंचायत सरपंच की शिकायत पर भी आज दिनांक तक किसी प्रकार की कार्यवाही नही की गई है। यह विभाग और क्रेशर मालिक के बीच मिलिभगत का जीता जागता उदाहरण है। जिस प्रकार प्रतिदिन पहाड की खुदाई करके महावीर कोलवासरी के रेल्वेसाईडिंग के लिए हजारों ट्रिप मुरुम और पत्थर पहुंचाया गया गोयल क्रेशर के साथ महावीर की भी रेल्वेसाईडिंग की जांच की जाये तो इतना पत्थर और मुरुम कहां से आया किसी के पास कोई जवाब नहीं होगा। क्योकि बाकिघाट में राजस्व की ही जमीन नहीं है वन विभाग,जलसंसाधन विभाग की भी जमीन है। लीज के नाम पर जो अवैध उत्खन्न किया गया है गोयल क्रेशर के साथ साथ महावीर कोलवाशरी पर भी मामला दर्ज किया जायें क्योकि पहाड का अवैध उत्खन्न आपराधिक मामला बनता है। समस्त उत्खन्न किये हुये मुरुम एवं पत्थर को जप्त किया जायें क्योकि ग्रामपंचायत सरपंच के द्वारा किसी प्रकार की उत्खन्न करने के लिए कोई भी अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया है।
नेशनल ग्रीन ट्युबनल (एन.जी.टी.) दिल्ली भारत सरकार के नियम को ताक में रखा गया है, जिसके कारण आपराधिक प्रकरण बनता है। अवैध उत्खन्न कर करोडो रुपये की राजस्व की चोरी की गई है वही पहाड को निस्तोनाबुत कर दिया गया है आने वाले समय में पहाड या भी की नही इतिहास के पन्नो में खोजना पड़ जायेगा तत्काल प्रभाव न्यायोचित कार्यवाही करने की कृपा करें उचित कार्यवाही नहीं होने पर एन.जी.टी. और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर बाध्य होंगे।