
पूरे समाज को झकझोर कर रख देने वाली
जनहित न्यूज़ की रिपोर्ट…!
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बिलासपुर {जनहित न्यूज़} बिलासपुर में एक बार फिर एक घर उजड़ गया, एक बेटी का जीवन अधूरा रह गया, और एक पिता की आंखों में फिर से आंसू उतर आए। तोरवा थाना क्षेत्र में सामने आए इस दर्दनाक हत्याकांड ने सिर्फ एक परिवार को नहीं, पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। शराबी पति ने पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी और इस बार वजह सिर्फ ‘झगड़ा’ नहीं, बल्कि वर्षों से पलती हिंसा और उपेक्षा की उपज है।
क्या थी वजह?
कल भी एक आम दिन की तरह ही शुरुआत हुई थी। लेकिन लालखदान निवासी संतोष सूर्यवंशी के घर वो दिन कभी न भूलने वाला बन गया। उनकी बेटी मुस्कान, जो पहले से पति अंकित लास्कर की हिंसा और शराब की लत से परेशान थी, कुछ समय से मायके में रह रही थी। पर उस दिन अंकित अचानक पहुंचा और जब घर पर केवल मुस्कान और उसकी छोटी बहन अनामिका मौजूद थीं, तब उसने एक चालाकी से अनामिका को बाहर भेजा — और मुस्कान की गला घोंटकर हत्या कर दी।
हत्या… इतनी सरल क्यों?
ये कोई पहला मामला नहीं है। न ही आखिरी होगा, अगर सवाल नहीं उठाए गए।
क्या पत्नी की जान की कीमत अब इतनी सस्ती हो गई है कि ‘शक’, ‘गुस्सा’ या ‘नशा’ जैसे कारण से कोई उसकी जान ले सकता है?
क्या समाज और कानून की पकड़ तब तक ढीली है, जब तक हत्या हो नहीं जाती?
रिश्तों में उबलता ज़हर
अधिकांश घरेलू हिंसा के मामलों की शुरुआत अपमान, गाली-गलौज या हल्की मारपीट से होती है। जो समय के साथ “सामान्य” समझ ली जाती है।
मुस्कान भी सालों से यही सहती रही, लेकिन उसे न बचा सका समाज, न रिश्तेदार और न ही कानून, जब तक उसका दम नहीं घुट गया।
पुलिस की तत्परता बनी मिसाल…
पुलिस ने सराहनीय त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी अंकित लास्कर को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने अपना जुर्म कबूल किया और उसके खिलाफ धारा 103(1) बीएनएस के तहत मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश किया गया।
अब समय आ गया है कि इस तरह की घटनाओं पर केवल दुख या रोष प्रकट करने के बजाय, समाज को जागरूक किया जाए…!
घरेलू हिंसा को नजरअंदाज न करें।
पीड़िता की चुप्पी को उसकी सहमति न समझें।
समय रहते हस्तक्षेप करें पड़ोसी, रिश्तेदार और पुलिस, सभी की जिम्मेदारी है।
शराब की लत और मानसिक अस्थिरता को ‘माफ़ी का आधार’ बनाना बंद हो।
मुस्कान अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी कहानी एक संदेश छोड़ती है। कि चुप रहना, सहते रहना और ‘समझौता करते रहना’ अब समाधान नहीं है।
रिश्तों को समझदारी और सम्मान से निभाया जाना चाहिए, ना कि शक्ति प्रदर्शन और हिंसा से। अब सवाल यह नहीं कि मुस्कान की मौत कैसे हुई बल्कि सवाल यह है कि हम अगली ‘मुस्कान’ को मरने से कैसे रोकें?