शिक्षा व्यवस्था का शर्मनाक सच…! जमीनी हकीकत कुछ ऐसी…! शिक्षा के ताबूत पर आखिरी कील ठोक रहा खोंगसरा हायर सेकेंडरी स्कूल…!
बिलासपुर-{जनहित न्यूज़} बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड के ग्राम खोंगसरा में शनिवार को जब हायर सेकेंडरी स्कूल खुला, तब 200 में से सिर्फ 12 बच्चे पहुंचे।
और शर्म की बात ये नहीं, असली शर्म की बात यह है कि उन 12 बच्चों को भी पढ़ाया नहीं गया प्राचार्य ने छुट्टी घोषित कर बच्चों को घर भेज दिया!
इत्तेफाक या इमरजेंसी?
नहीं, ये तो निरीक्षण की मार थी:-
एक ओर सरकार शिक्षा को लेकर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, बच्चों को स्कूल तक लाने मिड डे मील से लेकर स्मार्ट क्लास तक की बातें हो रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत खोंगसरा हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षा की ताबूत पर आखिरी कील ठोक रही है। ठीक उसी दिन जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. अनिल तिवारी औचक निरीक्षण पर पहुंचे और जैसे ही स्कूल की असली तस्वीर सामने आई, शिक्षा व्यवस्था की नींव हिलती नजर आई।

प्रमुख खुलासे में मिली जानकारी
बिना आवेदन के गायब 4 शिक्षक, फिर भी हाजिरी में सीएल दर्ज!
टाइम टेबल नहीं बना, कोई पाठ्यक्रम पंजी नहीं, डायरी अधूरी। स्कूल में पढ़ाई से ज्यादा चर्चा का माहौल, शिक्षक गप्पे मारते दिखे।
शो काज नोटिस तो दिए गए, मगर सवाल है। क्या इतनी बड़ी लापरवाही की सजा केवल नोटिस..?

ये सिर्फ लापरवाही नहीं, ये बच्चों के भविष्य से धोखा है!
जब सरकारी शिक्षक ही स्कूल को मजाक बना दें, जब प्राचार्य खुद बच्चों को लौटा दें, जब पढ़ाई छोड़ स्कूल में लापरवाही का बोलबाला हो तो क्या सिर्फ एक नोटिस से सिस्टम दुरुस्त हो जाएगा?

डीईओ साहब! आपका आना सराहनीय है, पर क्या सिर्फ नोटिस देकर आपने अपना दायित्व निभा लिया? इस प्रकरण में सिर्फ स्कूल नहीं, पूरी जिला शिक्षा व्यवस्था कठघरे में है।

अगर दोषियों को सिर्फ कागजी कार्यवाही से छोड़ा जाएगा तो ये मूक बच्चे किसके पास न्याय मांगने जाएंगे?
स्थानीय लोगो ने की मांग

दोषियों के खिलाफ निलंबन व वेतन कटौती की कार्रवाई हो। खोंगसरा जैसे स्कूलों में हर महीने सघन निरीक्षण सुनिश्चित किया जाए।
जो बच्चे लौटाए गए, उनके अभिभावकों से संवाद कर विश्वास बहाल किया जाए।

और अंत में यही सवाल जब शिक्षक ही शिक्षा से भागने लगे, तो फिर बच्चों को स्कूल भेजने की जिम्मेदारी कौन उठाएगा?
कृपया इस खबर को साझा करें, ताकि शिक्षा व्यवस्था जागे।

