रेलवे की ओएचई तार की चपेट में घायल ठेका कर्मी की मौत…
मुआवजे को लेकर उपजा आक्रोश…
बिलासपुर-{जनहित न्यूज़} कोचिंग डिपो में कार्यरत ठेका कर्मी प्रताप बर्मन की जिंदगी गुरुवार सुबह अस्पताल में दम तोड़ गई। शनिवार को ड्यूटी के दौरान एसी कोच की छत पर मरम्मत करते वक्त अचानक वह ओएचई तार की चपेट में आ गया था। बुरी तरह झुलसे प्रताप पिछले कई दिनों से अपोलो अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा था, लेकिन आखिरकार मौत ने उसे अपने आगोश में ले लिया।
इस हादसे ने न सिर्फ परिजनों बल्कि पूरे गांव को शोक और आक्रोश से भर दिया है। बुधवार को ही परिजन और ग्रामीण बड़ी संख्या में डीआरएम कार्यालय पहुंचे थे और इलाज एवं मुआवजे की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया था। करीब दो घंटे तक गेट पर धरना चला, नारे गूंजे और अंततः रेलवे अधिकारियों ने ठेकेदार को बुलवाकर इलाज का खर्च उठाने का भरोसा दिलाया।

लेकिन गुरुवार को प्रताप की मौत के बाद हालात और गंभीर हो गए। परिजनों का आरोप है कि ठेकेदार ने अस्पताल में खर्च तक वहन नहीं किया। ग्रामीणों का कहना है कि हादसे की जिम्मेदारी से रेलवे और ठेकेदार दोनों पल्ला झाड़ रहे हैं। अब गांव में गुस्सा और पीड़ा दोनों चरम पर हैं।
सवाल यह है कि जान जोखिम में डालकर काम करने वाले इन ठेका कर्मियों की सुरक्षा और उनके परिवारों का सहारा आखिर कब सुनिश्चित होगा…? प्रताप बर्मन की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि उन तमाम श्रमिकों की असुरक्षा और उपेक्षा की कहानी है, जो हर दिन जान पर खेलकर रेलवे की सेवाएं दुरुस्त रखते हैं।
यह हादसा एक बार फिर उस बड़े सवाल को खड़ा करता हैक्या मजदूरों की जान की कीमत सिर्फ ठेका व्यवस्था की गलियों में गुम हो जाने के लिए है?

