सुप्रसिद्ध डॉ मखीजा का दिखा नया रूप नगर हो रही भरपूर प्रशंसा
8-मई,2021
बिलासपुर-{जनहित न्यूज़}
तुम बदलो
न बदलो
समय बदलेगा ,
होगा ख़त्म
दुःख का समय
सुख आयेगा ,
क्या गायेगा तब तू,
क्यू रोया था
दुःख में ,
क्यू सोया था
दुःख में ,
क्या किया पुरुषार्थ
दुःख में,
सेवा की
या
खाया मेवा
लोगों के दुःख में
या
रहा डर के
या
रहा मरा मरा सा
घर पे
माना इस दुःख में
है रहना घर पर ,
पर कहाँ लिखा है
डर के रहना,
या मर के रहना
तो उठो ,
और उठाओ
लोगों का मनोबल ,
और
इस दुःख में
लिखो एक कहानी,
जिसे पढ़ सको
आगे जीवन में ,
तुम नम आँखो से
और जिसे पढ़ सकें,
तुम्हारे वंशज
गर्व से ,
चमकती
आँखों से ।
ललित माखीज
2
जीवन में
मैंने अंगद की तरह पैर धरा है
फिर भी मन नहीं भरा है
क्यूँकि
ललित एक पैर पर खड़ा है
बहुत दिनो से सोच रहा हूँ कि
दूसरा पैर कहाँ धरु
कि बन जाऊँ एक बहुत बड़ा सेतु
जिसे देख ईमानदार
बड़े सपने देखने वालो का हौसला बढ़े
बन जाऊँ मार्ग निराश लोगों के लिए
जो इस सेतु का उपयोग कर के पार कर जाये
अपनी सारी मुश्किलें
बन जाऊँ बहुत बड़ा सेतु
जिसके नीचे से निकल जाये
बड़े बड़े मालवाहक जहाज़ आसानी से
फिर भले ही क्यू न जहाज़ भरे हो बड़ी से बड़ी निराशा से या
बड़ी से बड़ी आशा से
सबके लियें सुगम हो जाऊँ
मैं सेतु बन जाऊँ
मैं मार्ग बन जाऊँ
ललित

