नवरात्र पर्व में बांटी खुशियां श्रद्धा और सेवा की बनी मिसाल…!
बिलासपुर-[जनहित न्यूज]
नवरात्र महापर्व के पावन अवसर पर शहर के प्रतिष्ठित उद्योगपति एवं प्रख्यात समाजसेवी प्रवीण झा ने अपने परिवार सहित माँ महामाया मंदिर पहुँचकर विशेष पूजा-अर्चना की। दुर्गा सप्तशती के मंत्रोच्चार और आरती के बीच झा परिवार नतमस्तक हुआ और माता से प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि, शांति और उन्नति की प्रार्थना की।
पूजन उपरांत उन्होंने मंदिर परिसर और मार्ग में श्रद्धालुओं को भोग-प्रसाद वितरित किया। राहगीरों एवं भक्तों ने ससम्मान प्रसाद ग्रहण किया और माँ महामाया के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।

इस अवसर पर प्रवीण झा ने कहा..
“माँ महामाया के दरबार में आकर अद्भुत शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है। मेरा संकल्प है कि माँ का आशीर्वाद हर व्यक्ति तक पहुँचे और समाज में सद्भाव एवं समृद्धि बनी रहे। नैला और डोंगरगढ़ में भी किए दर्शन महामाया मंदिर दर्शन के बाद झा परिवार ने नैला दुर्गा पंडाल में पहुँचकर पूजा-अर्चना की तथा श्रद्धालुओं और समिति सदस्यों को नवरात्र की शुभकामनाएँ दीं।

इसके उपरांत वे डोंगरगढ़ स्थित माँ बम्लेश्वरी मंदिर भी पहुँचे, जहाँ उन्होंने परिवार सहित पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के मंगल की प्रार्थना की।
प्रवीण झा ने कहा
“डोंगरगढ़ आने से हर बार आत्मिक शांति और नई शक्ति का अनुभव होता है। माँ बम्लेश्वरी की कृपा से हर घर में सुख-समृद्धि बनी रहे।
शहर की समितियों में सक्रिय सहभागिता
नवरात्र महापर्व के दौरान झा परिवार विभिन्न दुर्गा उत्सव समितियों के कार्यक्रमों में भी सम्मिलित हुआ। बहतराई स्टेडियम, सरकंडा सार्वजनिक दुर्गा पूजा, प्रगति संघ कालीबाड़ी, मध्य नगरी चौक, जबड़ा पारा, जूनी लाइन नवयुवक समिति से लेकर श्रीकांत वर्मा मार्ग नव प्रभात समिति हर स्थान पर उन्होंने माता रानी के चरणों में पुष्प अर्पित किए और सामूहिक आरती में भाग लिया।

समिति पदाधिकारियों और श्रद्धालुओं ने उद्योगपति प्रवीण झा का भव्य स्वागत किया। जगह-जगह लोग उन्हें सम्मान और आशीर्वाद की भावना से जोड़ते गए।
समाज और सेवा के प्रति संकल्प
पूरे नवरात्र आयोजन में उनकी उपस्थिति ने यह संदेश दिया कि धार्मिक पर्व केवल आध्यात्मिक साधना ही नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और सेवा का माध्यम भी है।
श्री झा ने कहा…
नवरात्र हमें यह प्रेरणा देता है कि शक्ति और भक्ति के साथ-साथ समाज की सेवा भी हमारी प्राथमिकता हो। उद्योग और संसाधन तभी सार्थक हैं, जब उनका उपयोग समाजहित में किया जाए।

