लगाए गम्भीर आरोप…
बदले की भावना से भाजपा सरकार कर रही कार्रवाई…
बिलासपुर-{जनहित न्यूज़}
बिलासपुर लिंगीहाडीह क्षेत्र में रहने वाले 550 गरीब परिवार एक बार फिर विस्थापन के डर से सहमे हुए हैं। वर्ष 2019 में कांग्रेस सरकार द्वारा राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत इन परिवारों का बाकायदा सर्वे कर पट्टा वितरित किया गया था। इतना ही नहीं सरकार ने शुल्क लेकर रसीद भी जारी की थी, जिसके आधार पर इन परिवारों ने अपने आशियाने और जीवन की उम्मीदों को दोबारा खड़ा किया।

लेकिन अब दो साल से सत्ता में रहने के बाद भाजपा सरकार पर उन्हीं गरीबों के घर उजाड़ने का आरोप लगाया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन लिंगीहाडीह की जमीन पर गार्डन व कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने की तैयारी कर रहा है, जिस कारण लोगों को नोटिस जारी कर बेदखली की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
150 दुकानों को पहले ही किया जा चुका है ध्वस्त:-
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इसी योजना का हवाला देते हुए प्रशासन पहले ही लगभग 150 दुकानों को तोड़ चुका है। दुकानदारों का कहना है कि यह कार्रवाई बिना उचित पुनर्वास और वैकल्पिक व्यवस्था के की गई, जिससे उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया। अब यही कार्रवाई आवासीय इलाकों पर की जा रही है, जिससे सैकड़ों परिवारों के बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है।

पूर्व विधायक शैलेश पांडेय ने कहा…
उजाड़ने का काम ज्यादा, संवारने का कम स्थानीय लोगों का आरोप स्थानीय नागरिकों और प्रभावित परिवारों का कहना है कि सरकार विकास की आड़ में गरीबों का भविष्य उजाड़ने का काम कर रही है। कांग्रेस शासन में मिले पट्टों को कानूनी दस्तावेज मानते हुए लोग बरसों से वहाँ रह रहे हैं। ऐसे में अचानक बेदखली का नोटिस देना उन्हें अस्थिरता, भय और अनिश्चितता की स्थिति में धकेल रहा है।
लोगों का कहना है कि यह कार्रवाई केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं बल्कि बदले की भावना से की जा रही राजनीतिक कार्यवाही है। लोगों का आरोप है कि सरकार जनता को राहत देने के बजाय योजनाओं को उलटकर और विवाद खड़े कर गरीब परिवारों को परेशान कर रही है।
परिवारों की गुहार….
घर गिराने से पहले पुनर्वास की ठोस व्यवस्था हो प्रभावित लोग मांग कर रहे हैं कि यदि सरकार को विकास कार्य करना ही है, तो कोई भी कार्रवाई करने से पहले सभी परिवारों के लिए सम्मानजनक पुनर्वास, वैकल्पिक भूमि, और कानूनी संरक्षण उपलब्ध कराया जाए।
अन्यथा यह कदम न केवल सामाजिक असंतुलन उत्पन्न करेगा बल्कि गरीबों के विश्वास को भी गहरा आघात पहुंचाएगा।




