
वर्तमान परिस्थितियों में घाटा होने का दिया हवाला!
मुख्यमंत्री के नाम 10 सूत्री मांग पत्र सौंपा
Aug-28, 2020
बिलासपुर-[जनहित न्यूज़] अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान बस ऑपरेटरों को बस परिचालन की अनुमति देने के बाद भी निजी बस मालिक किसी भी रूट पर बस चलाने को तैयार नहीं हो रहे। इसी मुद्दे पर छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ द्वारा 10 सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया। इस मुद्दे पर शुक्रवार को हाईटेक बस स्टैंड तिफरा में एक दिवसीय धरना आंदोलन करते हुए बिलासपुर संभाग के सभी बस मालिक और ऑपरेटर ने अपनी समस्या और मांग से प्रशासन को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि मौजूदा परिस्थितियों में बस मालिक भी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। 21 मार्च से सभी बसें खड़ी है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में सरकार के शर्त अनुसार बस का परिचालन करना उनके बस का भी नहीं है। इसलिए उन्होंने इस दिशा में 10 सूत्रीय मांग की है ताकि वे पहले की तरह सभी मार्गों में अपनी बसें चला सके। मांग पत्र में बस संचालकों ने जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक के सभी कर माफ करने की मांग की है। डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण यात्री किराए में 40% की वृद्धि करने की मांग भी बस ऑपरेटर कर रहे हैं। वर्तमान में 2 महीने के लिए बस एवं परमिट के निष्प्रयोग की बाध्यता के नियम को समाप्त करने की भी मांग की गई है।

वर्तमान में स्लीपर यात्री बसों से एक स्लीपर के एवज में 2 सीट का टैक्स लिया जा रहा है, जिसे भी 1 सीट के टैक्स में तब्दील करने की मांग की गई है। डीजल की कीमत में वेट टैक्स की राशि को 50% कम करने की भी मांग इसमे शामिल है। आरटीओ कार्यालय के विकेंद्रीकरण की भी मांग की गई है ताकि छोटे छोटे काम के लिए राजधानी रायपुर जाने की बाध्यता खत्म हो। परमिट के नवीनीकरण के बाद बेवजह टैक्स लिए जाने में राहत की मांग की गई है ।चक्के के आधार पर बसों के पंजीयन के नियम को समाप्त कर बसों के भौतिक सत्यापन कर उपलब्ध सीटों और स्लीपर के आधार पर बसों के पंजीयन के नियम बनाने की मांग भी ऑपरेटरो ने की है। राज्य में संचालित सिटी बस सेवाओं को भारत सरकार के जेएनएनयूआरएम के तहत संचालित सिटी बसों को योजना के अनुरूप सिटी के भीतर ही चलाये जाने की मांग भी की गयी है। पिछले करीब 6 महीने से बसों का संचालन बंद होने का हवाला देते हुए ईएमआई जमा करने के लिए दिसंबर महीने तक छूट भी मांगी गई है। सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द प्रदेश में बसों का परिचालन आरम्भ हो, लेकिन बस ऑपरेटर घाटे का हवाला देकर अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। वहीं अब सरकार के समक्ष वे आंदोलन के माध्यम से अपनी मांग रख चुके हैं। देखना होगा इस पर सरकार का रुख क्या रहता है। वर्तमान में बसों का परिचालन ना होने से ग्रामीण यात्रियों को काफी तकलीफ हो रही है, इसलिए सरकार की भी कोशिश होगी कि मध्य मार्ग निकालकर जल्द से जल्द प्रदेश में बसों का परिचालन आरम्भ कराया जाए लेकिन ऑपरेटर को भी यह ध्यान रखना होगा कि इस दौरान सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन ना हो। मुनाफे के नाम पर अगर वे गाइड लाइन का उल्लंघन करेंगे तो स्थिति और भी भयानक हो सकती है।

