अमर गायक मुकेश के सदाबहार गीतों की याद ताज़ा करेंगे दुआबाबा और अंचल शर्मा….
21-july,202
बिलासपुर-[ जनहित न्यूज़] बावरा मन के वर्चुअल मंच पर हिन्दी चित्रपट संगीत के अमर गायक मुकेश के सदाबहार गीतों का कारवां एक बार फिर से चलेगा। बुधवार 22 जुलाई को संध्या साढ़े सात बजे से बावरा मन के फेसबुक लाईव में प्रेक्षक पुराने गीतों के सुनहरे दौर को एक बार फिर जियेंगे, गायक मुकेश के जन्मदिन के अवसर पर उनके पुराने और मधुर गीतों की याद ताज़ा करेंगे, राजेश दुआ और अंचल शर्मा . मुकेश-लता के युगल गीतों में लता जी की आवाज़ बनेंगी, श्रीमती ज्योति शर्मा, दुआबाबा के नाम से मुकेश जी के गीत गाने वाले राजेश दुआ वरिष्ठ पत्रकार और सांस्कृतिक संस्था “बावरा मन” के सचिव भी हैं जबकि मुकेश जी की दिलकश आवाज़ के पर्याय बन चुके अंचल शर्मा देश भर में अनेक प्रतिष्ठित मंचों का हिस्सा रह चुके हैं, दुआबाबा और अंचल शर्मा पहली बार एकसाथ बावरा मन के लाइव-शो में दिखेंगे .
बावरा मन के अध्यक्ष रामा राव ने बताया कि 22 जुलाई को मुकेश जी के जन्मदिन के अवसर पर राजेश दुआ और अंचल शर्मा उनके गीतों को प्रस्तुत कर एक आदरांजलि अर्पित करेंगे। उन्होंने कहा कि मुकेश जी अमर आवाज़ के स्वामी थे। शब्द-शब्द में प्राण फूंकने और पंक्ति-पंक्ति को जीवन्तता प्रदान करने में मुकेश जी का कोई सानी नहीं था। दर्द भरे नगमों को जिस स्वर से सार्थकता प्रदान की जा सकती है, वह आवाज़ ईश्वर ने उन्हें बख्शी थी।
“द मैन ऑफ़ गोल्डन वाइस-मुकेश जी” के स्वरों में विशेष माधुर्य और सहज सम्प्रेषण था . वे जो भी गीत गाते थे वह “हिट” हो जाता था और आम आदमी के दिलो-दिमाग से होता हुआ सीधे उनकी जुबान में चढ़ जाता था . हिन्दी सिनेमा में चार दशकों तक मुकेश जी ने राज किया . उन्होंने ख़ुशी और गम, मस्ती, देशभक्ति और रोमांटिक सभी प्रकार के गीत गायें . दर्द भरे गीतों के तो वे शहंशाह थे .
मुकेश जी ने 200 से भी ज्यादा फिल्मों में अपनी आवाज दी। अपनी आवाज से सबके दिलों पर छाने वाले मुकेश फिल्मफेयर पाने वाले पहले पुरुष गायक थे। उन्हें वर्ष 1959 में आई फिल्म ‘अनाड़ी’ के गाने ‘सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी’ के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर के पुरस्कार से नवाजा गया था। इसके बाद उन्हें 1970 में फिल्म ‘पहचान’ के गाने ‘सबसे बड़ा नादान वही है’, 1972 में फिल्म ‘बेइमान’ के गाने ‘जय जय बोलो बेइमान की जय बोलो’ के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। सिर्फ यहीं नहीं उन्हें 1974 में फिल्म ‘रजनीगंधा’ के गाने ‘कई बार यूं भी देखा है’ के लिए नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा गया था।
बावरा मन के अध्यक्ष रामा राव ने कहा है कि मुकेश जी द्वारा गाये गए गुजरे ज़माने के गीतों का फलसफा राजेश दुआ, अंचल और ज्योति शर्मा से सुनना एक यादगार अनुभव होगा।